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शरद पवार (Sharad Pawar) के मन में क्‍या चल रहा है, सिर्फ एक आदमी ही जानता है

विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (BJP-Shiv Sena Alliance) को बहुमत हासिल होने के बाद भी अजीब मोड़ पर आ खड़ी हुई है महाराष्‍ट्र की सियासत (Politics Of Maharashtra). आखिर शरद पवार अब क्‍या करेंगे.

Updated on: 20 Nov 2019, 11:49 AM

नई दिल्‍ली:

क्‍या होगा महाराष्‍ट्र (Maharashtra) का? कौन बनाएगा महाराष्‍ट्र में सरकार? उद्धव ठाकरे (Udhav Thackrey) मारेंगे बाजी या देवेंद्र फडनवीस (Devendra Fadnavis) करेंगे वापसी? 30 साल पुराना गठबंधन टूट गया है, क्‍या 15 साल पहले का भी गठबंधन टूटेगा? सत्‍ता की चाबी किसके लिए राजसत्‍ता का सिंहासन खोलेगी? शरद पवार क्‍या एनडीए (NDA) का हिस्‍सा बनेंगे या फिर कांग्रेस (Congress) के साथ शिवसेना (Shiv Sena) को देंगे समर्थन? महाराष्‍ट्र में सत्‍ता के शतरंज की बिसात पर आखिर कौन करेगा शह और किसके हिस्‍से आएगी मात? विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (BJP-Shiv Sena Alliance) को बहुमत हासिल होने के बाद भी अजीब मोड़ पर आ खड़ी हुई है महाराष्‍ट्र की सियासत (Politics Of Maharashtra).

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महाराष्‍ट्र में 21 अक्‍टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56 सीटें हासिल हुई थी. चुनाव पूर्व गठबंधन होने से दोनों दलों को मिलाकर पूर्ण बहुमत मिल गया था, लेकिन शिवसेना की ढाई-ढाई साल के लिए मुख्‍यमंत्री की मांग से बात बिगड़ गई और शिवसेना एनडीए से अलग हो चुकी है. दूसरी ओर, कांग्रेस और एनसीपी ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती थीं. 19 दिन तक सरकार नहीं बनी तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले हफ्ते मंगलवार को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी, जो उसी दिन लागू भी हो गया था.

राष्‍ट्रपति शासन लागू होने से पहले और बाद में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन के लिए संपर्क साधा था. बीजेपी और शिवसेना के अलग हो जाने के बाद शरद पवार किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं. अगर वे बीजेपी के साथ गए तो बहुमत का आंकड़ा पूरा हो जाएगा, लेकिन अगर वे शिवसेना के साथ गए कांग्रेस का साथ लेना भी जरूरी हो जाएगा. इसमें कांग्रेस के साथ के अलावा उसकी मांगों को पूरा करने की चुनौती भी शिवसेना-एनसीपी के कंधों पर होगी.

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इसके अलावा बीजेपी के साथ एनसीपी जाती है तो केंद्र में मंत्री पद मिलना पक्‍का होगा, वहीं राज्‍य में भी अपना प्रभाव और मजबूत करने में एनसीपी को मदद मिलेगी. जाहिर सी बात है कि राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी शरद पवार कोई भी फैसला लेने से पहले नफा-नुकसान, मुनाफा-घाटा को भी ध्‍यान में रखेंगे. अब एनसीपी बीजेपी के साथ जाएगी या शिवसेना के साथ, यह केवल शरद पवार ही जानते हैं. केवल शरद पवार तय करेंगे कि आने वाले दिनों में महाराष्‍ट्र की राजनीति, एनसीपी की राजनीति किस करवट बैठेगी, यह केवल शरद पवार ही जानते हैं.

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यहां एक बात दीगर है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले राज्‍यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करते हुए एनसीपी की राजनीति करने के तरीके की दिल खोलकर तारीफ की थी. हालांकि उन्‍होंने बीजेडी की भी प्रशंसा की थी, लेकिन महाराष्‍ट्र की सियासत जिस मोड़ पर खड़ी है, तब पीएम मोदी द्वारा एनसीपी की तारीफ करना एक नया संकेत दे रहा है. यह भी एक इत्‍तेफाक है कि पीएम मोदी से मिली तारीफ के दो दिन बाद ही शरद पवार आज बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. हालांकि बताया जा रहा है कि यह मुलाकात किसानों के मुद्दे पर होगी, लेकिन सियासत के जानकार इस मुलाकात के खास मायने बता रहे हैं. आने वाले दिनों में महाराष्‍ट्र की राजनीति में क्‍या गुल खिलेगा, यह देखना दिलचस्‍प होगा.