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साईं की नगरी शिरडी में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान, जन्म स्थली विवाद ने पकड़ा तूल

बंद को प्रभावी बनाने के लिए शिरडी की पांच कोस की परिक्रमा में बसे गांवों की पंचायतों के प्रमुख पदाधिकारियों और गांववालों को इस बैठक में बुलाकर उन्हें भी बंद में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.

Updated on: 18 Jan 2020, 11:37 AM

highlights

  • साईं बाबा की जन्मभूमि का विवाद अब बढ़ता दिख रहा है.
  • जहां श्रद्धा और सबुरी की बातें की जाती हैं वहां आज विवाद हो रहे हैं.
  • 18 फरवरी से साईं की नगरी पर लगा जाएगा ताला.

शिरडी:

साईं बाबा (Sai Baba) की जन्मभूमि का विवाद अब बढ़ता दिख रहा है. जहां श्रद्धा और सबुरी की बातें की जाती हैं वहां आज विवाद हो रहे हैं. विवाद भी किसके ऊपर साईं बाबा के जन्म पर. 18 जनवरी दिन शनिवार को साईं बाबा की जन्मभूमि के मुद्दे पर रविवार से शिरडी (Shirdi) में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया गया है. यह ऐलान शिरडी के लोगों ने किया है. इस बारे में शनिवार को शिरडी ग्राम सभा की बैठक भी बुलाई गई है. बंद को प्रभावी बनाने के लिए शिरडी की पांच कोस की परिक्रमा में बसे गांवों की पंचायतों के प्रमुख पदाधिकारियों और गांववालों को इस बैठक में बुलाकर उन्हें भी बंद में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.
विवाद को शांत करने के लिए महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति और शिवसेना की नेता निलम गोर्हे ने गुरुवार को शिरडी पहुंचकर शिरडी बंद न करने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जल्द ही इस बारे में शिरडी के लोगों से बातचीत करेंगे.

जानकारों के अनुसार, शिरडी में पहली बार अनिश्चितकाल के लिए बंद होगा. ग्रामसभा का कहना है कि शिरडी में साईं समाधि के दर्शन करने देश-विदेश से रोज लाखों भक्त आते हैं, उन्हें परेशानी से बचाने के लिए दो दिन पहले ही शिरडी बंद की सूचना जारी कर दी गई थी.
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साईं बाबा की जन्मभूमि को लेकर विवाद तब पैदा हुआ, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्ध‌व ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी गांव के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की. पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थली कहा जाता है. शिरडी ग्राम सभा का कहना है कि इससे पहले भी साईं बाबा और उनके माता-पिता के बारे में अनेक बोगस दावे किए जा चुके हैं. अब पाथरी को उनकी जन्मभूमि का दावा कर साईं बाबा पर एक जाति विशेष का लेबल लगाने की कोशिश की जा रही है. ग्राम सभा के लोगों का कहना है कि उनका विरोध पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये दिए जाने को लेकर नहीं, बल्कि उसे साईं बाबा की जन्मभूमि की पहचान देने से है. ग्राम सभा का यह भी कहना है कि साईं बाबा ने अपना नाम, पता, जाति, धर्म कभी किसी को नही बताया. इसलिए वह दुनियाभर में सर्वधर्म समभाव के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं.
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पाथरी के स्थानीय विधायक और एनसीपी के नेता दुर्रानी अब्दुल्ला खान का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं कि साईं बाबा का जन्म परभणी जिले के पथरी में हुआ था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहले इस तथ्य का समर्थन कर चुके हैं. लोग इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर महाराष्ट्र के इस शहर का विकास होता है, तो शिरडी का महत्व कम हो जाएगा.