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शरद पवार की नाराजगी के बीच उद्धव ठाकरे बोले- भीमा कोरेगांव नहीं, एल्‍गार परिषद मामले की जांच NIA को दी

एनसीपी नेता शरद पवार की नाराजगी के बीच महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बड़ा बयान देते हुए कहा, भीमा कोरेगांव मामले की जांच NIA को नहीं दी गई है.

Updated on: 18 Feb 2020, 12:28 PM

नई दिल्‍ली:

एनसीपी नेता शरद पवार की नाराजगी के बीच महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बड़ा बयान देते हुए कहा, भीमा कोरेगांव मामले की जांच NIA को नहीं दी गई है. एल्‍गार परिषद मामले की जांच NIA को दी गई है. दोनों अलग-अलग मामले हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा, मैं अपने दलित भाइयों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा. एक दिन पहले NCP नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने सरकार से होकर एनसीपी के मंत्रियों की बैठक बुलाई थी. बैठक में तय किया गया कि भीमा कोरेगांव मामले की समानांतर जांच शुरू कराई जाएगी. बैठक से पहले पत्रकारों के सामने उद्धव ठाकरे की सरकार से नाराजगी जताते हुए उन्‍होंने एल्‍गार परिषद मामले को एनआईए को सौंपे जाने को लेकर नाराजगी जताई थी.

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सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, सीएए और एनआरसी दोनों अलग हैं और एनपीआर अलग है. सीसीए लागू होने से किसी को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. राज्य में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा. उन्‍होंने यह भी कहा, यदि एनआरसी लागू किया जाता है तो यह न केवल हिंदू या मुस्लिम बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा. केंद्र ने NRC पर अभी चर्चा नहीं की है, जबकि एनपीआर केवल जनगणना के लिए है. मुझे नहीं लगता कि इससे कोई भी प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होता है.

एल्‍गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से शरद पवार बेहद नाराज हैं. साथ ही महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा NPR (राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या रजिस्‍टर) को मंजूरी दिए जाने से मराठा क्षत्रप की भौंहें तनी हुई है. शरद पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामले में आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार 'कुछ छुपाना' चाहती थी, इसलिए मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (SIT) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था.

शरद पवार ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना 'राष्ट्रविरोधी' गतिविधि है?. पवार ने कहा कि जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी. मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था.

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महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा गया था कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से उसे कोई एतराज नहीं है. हालांकि, मोदी सरकार ने जब इस मामले को एनआईए को सौंपा था, तब उद्धव ठाकरे की सरकार ने इसकी तीखी आलोचना की थी. यह मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद संगोष्ठी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस का दावा था कि इन भाषणों के चलते ही अगले दिन जिले के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी. यह भी कहा जा रहा है कि संगोष्ठी के आयोजन को माओवादियों का समर्थन था. जांच के दौरान पुलिस ने वामपंथी झुकाव वाले कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था.