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पीएम नरेंद्र मोदी को मारने के षड्यंत्र की थ्‍योरी हास्यास्पद, एल्‍गार परिषद मामले में बोले शरद पवार

भीमा कोरेगांव-एल्‍गार परिषद केस में उद्धव ठाकरे की भूमिका पर उद्धव सरकार से नाराजगी जताते हुए एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, राज्य सरकार ने इन मामलों को अदालत में ऐसे रखा कि किसी को जमानत न मिल सके.

Updated on: 18 Feb 2020, 12:19 PM

नई दिल्‍ली:

भीमा कोरेगांव-एल्‍गार परिषद केस में उद्धव ठाकरे की भूमिका पर उद्धव सरकार से नाराजगी जताते हुए एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, राज्य सरकार ने इन मामलों को अदालत में ऐसे रखा कि किसी को जमानत न मिल सके. लोग 2 साल से जेल में बंद हैं, जमानत याचिका खारिज हो गई. न्यायमूर्ति ने भी कहा है कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. उसी की मांग करते हुए हम SIT के तहत जांच करने की बात कर रहे हैं. इस पूरे मामले में जो सबूत दिए गए, उसमें क्या सत्य है यह लोगों के लिए जानना जरूरी है. शरद पवार ने कहा, मुझे पता है कि अगर सही से जांच हुई तो सत्य सामने आ जाएगा. साथ ही जिसके साथ अन्‍याय हुआ है, उन्‍हें भी न्‍याय मिलेगा. शरद पवार ने यह भी कहा, राज्य सरकार की सुबह 9 बजे बैठक हो रही थी, उधर केंद्र सरकार ने यह मामला अपने पास ले लिया. शरद पवार ने यह भी कहा, पीएम नरेंद्र मोदी को मारने के षड्यंत्र की थ्‍योरी निहायत ही हास्यास्पद है.

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इससे पहले महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था, भीमा कोरेगांव मामले की जांच NIA को नहीं दी गई है. एल्‍गार परिषद मामले की जांच NIA को दी गई है. दोनों अलग-अलग मामले हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा, मैं अपने दलित भाइयों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा. एक दिन पहले NCP नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने सरकार से होकर एनसीपी के मंत्रियों की बैठक बुलाई थी. बैठक में तय किया गया कि भीमा कोरेगांव मामले की समानांतर जांच शुरू कराई जाएगी. बैठक से पहले पत्रकारों के सामने उद्धव ठाकरे की सरकार से नाराजगी जताते हुए उन्‍होंने एल्‍गार परिषद मामले को एनआईए को सौंपे जाने को लेकर नाराजगी जताई थी.

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सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, सीएए और एनआरसी दोनों अलग हैं और एनपीआर अलग है. सीसीए लागू होने से किसी को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. राज्य में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा. उन्‍होंने यह भी कहा, यदि एनआरसी लागू किया जाता है तो यह न केवल हिंदू या मुस्लिम बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा. केंद्र ने NRC पर अभी चर्चा नहीं की है, जबकि एनपीआर केवल जनगणना के लिए है. मुझे नहीं लगता कि इससे कोई भी प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होता है.