बीजेपी और शिवसेना के बीच सुलह कराने के लिए आरएसएस ने इस बड़े नेता को सौंपी जिम्मेदारी
बताया जा रहा है कि बीजेपी महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में किसी तरह का जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं है. आरएसएस चाहती है कि राम मंदिर पर फैसले से पहले राज्य में स्थिर सरकार का गठन हो जाए.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा चुनाव (Assembly election ) के नतीजे आने के 12 दिन बाद भी बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv sena) के बीच रस्साकसी जारी है. एक तरफ शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की मांग पर अड़ी है तो बीजेपी इस मांग को कतई स्वीकार करने के मूड में नहीं है. बीजेपी का मानना है कि महाराष्ट्र में सरकार देवेंद्र फडणवीस (Devendra fadanvis) की ही बनेगी. इस बीच खबर है कि आरएसएस ने संकटमोचक के रूप में नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को शिवसेना से सुलह करने की जिम्मेदारी दी है. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) से मुलाकात के बाद नितिन गडकरी को यह जिम्मेदारी दी गई है. बताया जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो राज्य में 7 या 8 नवंबर को नई सरकार शपथ ले सकती है.
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बताया जा रहा है कि बीजेपी महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में किसी तरह का जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं है. खासकर तब जब हाल में ही संपन्न विधानसभा चुनाव में मतदाताओं में बीजेपी के प्रति नाराजगी देखी गई. एक दिन पहले देवेंद्र फड़णवीस ने आरएसएस प्रमुख से मुलाकात कर सरसंघचालक को हालात से अवगत कराया था.
यह भी कहा जा रहा है कि आरएसएस ने फडणवीस को जल्द ही गतिरोध खत्म करने और राम मंदिर के फैसले से पहले सरकार बनाने का दावा पेश करने कहा है. आरएसएस चाहती है कि राम मंदिर पर फैसले से पहले राज्य में स्थिर सरकार का गठन हो जाए.
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शिवसेना का प्लान यह है कि बीजेपी से बात न बनने की स्थिति में शिवसेना और NCP मिलकर सरकार बना लेंगे और कांग्रेस उस सरकार को बाहर से समर्थन दे देगी. 288 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं. वहीं, 13 निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 145 विधायकों का होना बहुत जरूरी है.
बीजेपी और शिवसेना के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन था और दोनों दलों को मिलाकर जनता ने बहुमत भी दिया है, लेकिन शिवसेना अब ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद मांग रही है, जो बीजेपी को नागवार गुजर रहा है.
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