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शरद पवार की दो मांग मान लेते पीएम नरेंद्र मोदी तो महाराष्‍ट्र में होती बीजेपी की सरकार

पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात में शरद पवार ने दो ऐसी मांगे रखी थीं, जिससे मानना बीजेपी (BJP) के लिए संभव नहीं था. लिहाजा डील अधर में लटक गई और महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में लंबा राजनीतिक ड्रामा (Political Dramma) देखने को मिला.

Updated on: 03 Dec 2019, 08:40 AM

नई दिल्‍ली:

अजित पवार (Ajit Pawar) जब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के साथ मुख्‍यमंत्री (Chief Minister) पद की शपथ ले रहे थे तो सभी के मन में एक ही बात आ रही थी कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ शरद पवार (Sharad Pawar) की मुलाकात से ये गुल खिला है. हालांकि यह बात पूरी तरह सच नहीं है. अब जो खबरें आ रही हैं, उससे यह बात निकल रही है कि शरद पवार से डील फेल होने के बाद बीजेपी ने अजित पवार पर डोरे डाले और उसमें सफल भी रही. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात में शरद पवार ने दो ऐसी मांगे रखी थीं, जिससे मानना बीजेपी (BJP) के लिए संभव नहीं था. लिहाजा डील अधर में लटक गई और महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में लंबा राजनीतिक ड्रामा (Political Dramma) देखने को मिला.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान शरद पवार ने पहले तो बेटी सुप्रिया सुले के लिए केंद्र में कृषि मंत्रालय मांगा था. उम्र और अनुभव में मोदी सरकार के अन्‍य मंत्रियों के समकक्ष न होने के कारण पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ऐसा करना उचित नहीं लगा. लिहाजा उन्‍होंने इनकार कर दिया.

शरद पवार की दूसरी मांग थी कि महाराष्‍ट्र में देवेंद्र फडणवीस के बदले मुख्‍यमंत्री कोई और बने. दोनों मांगों को पीएम नरेंद्र मोदी ने कोई तवज्‍जो नहीं दी. देवेंद्र फडणवीस महाराष्‍ट्र में पीएम नरेंद्र मोदी की ही खोज रहे हैं, लिहाजा शरद पवार की यह मांग मानने का कोई सवाल ही नहीं था. दूसरी ओर, महाराष्‍ट्र में देवेंद्र फडणवीस के चेहरे को आगे करके ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. 24 अक्टूबर को नतीजे आने के दिन पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने फडणवीस के ही नेतृत्व में सरकार बनने की घोषणा की थी. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस को पीछे करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होता.

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बीजेपी के अंदरखाने से एक बात यह भी निकलकर आ रही है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को कृषि मंत्रालय इसलिए नहीं दिया गया, क्‍योंकि इस बिना पर बिहार की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड रेल मंत्रालय के लिए दावा ठोक सकती थी. ऐसे में बीजेपी के लिए धर्मसंकट की स्‍थिति पैदा हो जाती. बीजेपी नहीं चाहती थी कि प्रचंड बहुमत के बाद भी मंत्रालय के लिए कोई सहयोगी दल उससे इस तरह मोलभाव करे. हालांकि शरद पवार ने बीजेपी और मोदी-शाह को इन दो मांगों पर विचार करने के लिए वक्‍त भी दिया था.

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शरद पवार को अंत तक उम्‍मीद थी कि शिवसेना की बेवफाई के चलते बीजेपी दोनों बड़ी मांगें मान लेगी पर बीजेपी झुकी नहीं और अंतत: शरद पवार ने कांग्रेस और शिवसेना के साथ सरकार बनाने की ओर अंतिम कदम उठा लिया.