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राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी शिवसेना को गोल-गोल घुमाए जा रहे हैं शरद पवार

शिवसेना का दावा है कि सरकार बनाने को लेकर उसके पास बहुमत है लेकिन जब यही सवाल एनसीपी से किया जा रहा है तो वो यही कह रही है कि कांग्रेस से चर्चा के बाद ही इस बारे में कोई फैसला ले पाएगी

Updated on: 13 Nov 2019, 12:46 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है, लेकिन इसके बाद भी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार लगातार शिवसेना को गोल-गोल घुमाए जा रहे हैं. शिवसेना का दावा है कि सरकार बनाने को लेकर उसके पास बहुमत है लेकिन जब यही सवाल एनसीपी से किया जा रहा है तो वो यही कह रही है कि कांग्रेस से चर्चा के बाद ही इस बारे में कोई फैसला ले पाएगी. उधर कांग्रेस के नेता भी बार-बार एनसीपी के साथ बैठक करने की बात कर रहे हैं. बुधवार को भी जब एनसीपी नेता अजित पवार से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, हम  कांग्रेस से चर्चा करने के बाद ही इस पर कोई फैसला ले सकते हैं. शिवसेना का घोषणापत्र एनसीपी-कांग्रेस से अलग था जबकि कांग्रेस और एनसीपी का एक था इसलिए हमारी आपसी समझ कांग्रेस के साथ पहले है. ऐसे में कांग्रेस से चर्चा के बाद ही हम शिवसेना के साथ कोई चर्चा कर पाएंगे. 

इसके साथ उन्होंने ये भी कहा कि एनसीपी नेता जयंत पाटिल बुधवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट को बुलाएंगे और तय करेंगे कि कब कांग्रेस औऱ एनसीपी शिवसेना को लेकर चर्चा की जाए. बता दें, एक तरफ जहां शिवसेना राष्ट्रपति शासन को ये कहकर चुनौती दे रही है कि मंगलवार को एनसीपी के बहमुत साबित करने से पहले ही राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया तो वहीं कांग्रेस और एनसीपी  अभी तक इसी दुविधा में फंसे हुए कि शिवसेना को समर्थन दिया जाए या नहीं. इससे साफ है कि शरद पवार शिवसेना को गोल-गोल घुमाने में लगे हुए हैं. 

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कहां फंसा है पेंच?

मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक अब कांग्रेस और एनसीपी ने भी शिवसेना के सामने सरकार बनाने के लिए कुछ शर्ते रख दी है.  बताया जा रहा है कि कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल मंगलवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पावर से मुलाकात करने पहुंचे. इस मुलाकात के दौरान सरकार बनाने को लेकर 4 बिंदुओं पर चर्चा हुई.

सबसे पहली बात जिसपर चर्चा की गई वो ये कि स्थाई सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को भी सरकार का हिस्सा बनना चाहिए. ये बात एनसीपी की तरफ से रखी गई. वहीं कांग्रेस ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात कही. इसके साथ इस बात पर भी चर्चा हुई कि सीएम पद के लिए 50-50 फॉर्मूला अपनाना चाहिए. एनसीपी-शिवसेना को ढाई-ढाई साल के सीएम पद के बंटवारे पर सरकार बनानी चाहिए. इसके साथ ही ये बात भी रखी गई कि कांग्रेस की तरफ से पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम हो.

तीसरा मुद्दा जिसपर चर्च हुई वो था कि तीनों पार्टियों में सत्ता का बरबर बंटवारा. सूत्रों की मानों तों कांग्रेस चाहती है कैबिनेट में 42 मंत्रियों को शामिल किया जाए. और इसका बंटवारा कांग्रेस के 14, शिवसेना के 14 औ एनसीपी के 14 मंत्रियों के साथ हो. इसके अलावा कांग्रेस इस सरकार में गृह और राजस्व जैसे अहम मंत्रालय भी चाहती है. वहीं इस बात पर भी चर्ता हो रही है कि अगर मुख्यमंत्री शिवसेना का ही हो तो डिप्टी सीएम फिर दो होनी चाहिए.

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों में बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई. यानी सबसे कम सीटों पर जीत हासिल होने के बावजूद कांग्रेस सरकार में बराबर का हिस्सा चाहती है.