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महाराष्ट्र में आदिवासियों ने वन अधिकारों सहित इन मांगों के लिए विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया

महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन और समृद्धि कॉरिडोर परियोजनाओं का विरोध करते हुए आदिवासियों ने रविवार को घोषणा की कि 'असली आज़ादी' के लिए वन अधिकारों सहित विभिन्न लंबित मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

Updated on: 27 Jan 2020, 09:32 AM

ठाणे:

महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन और समृद्धि कॉरिडोर परियोजनाओं का विरोध करते हुए आदिवासियों ने रविवार को घोषणा की कि 'असली आज़ादी' के लिए वन अधिकारों सहित विभिन्न लंबित मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इससे पहले दिन में, ठाणे, पालघर, रायगढ़ और नासिक जिलों के हजारों आदिवासी भिवंडी के पास उसगांव में एकत्र हुए जहां उन्होंने ठाणे जिले से 17 फरवरी से 'दूसरा स्वतंत्रता संग्राम' शुरू करने की घोषणा की.

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स्थानीय आदिवासी नेताओं ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, '1947 से आदिवासी सही अर्थों में स्वतंत्र नहीं हुए हैं. बंधुआ-मजदूरी की प्रथा अब भी प्रचलित है. कई आदिवासी अनपढ़ हैं. उन्हें कभी वन अधिकार नहीं दिये गये.' श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित ने कहा कि वे अब 'स्वतंत्रता को हड़प लेंगे क्योंकि चर्चा के दिन खत्म हो गए है.' इस मौके पर कई महिलाओं ने 'देश की जनता भूखी है, ये आजादी झूठी है' जैसे नारे लगाये. 

पंडित ने कहा कि आदिवासी मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना के साथ-साथ प्रस्तावित मुंबई-नागपुर सुपर संचार राजमार्ग या समृद्धि कॉरिडोर के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, 'दूसरा स्वतंत्रता संग्राम 15 अगस्त, 2022 तक जारी रहेगा.' आदिवासी नेताओं ने कहा, 'यदि सरकार हमारे विरोध प्रदर्शनों पर संज्ञान लेने में विफल रहती है तो हम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मुंबई स्थित आवास तक मार्च करेंगे.'