महाराष्ट्र फसल नुकसान: किसान नेताओं ने की ड्रोन से सर्वे कराने की मांग
शेतकारी संगठन और विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के नेताओं द्वारा यह मांग उठाई गई जिन्होंने नागपुर जिला कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया
नागपुर:
महाराष्ट्र में कृषि संकट के बीच नागपुर में किसान संगठों कार्यकर्ताओं ने बुधवार को मांग की कि हाल की बेमौसम बरसात के कारण फसल को हुए नुकसान का सर्वे ड्रोन और उपग्रहों के माध्यम से कराया जाये. शेतकारी संगठन और विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के नेताओं द्वारा यह मांग उठाई गई जिन्होंने नागपुर जिला कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया. नेताओं का दावा है कि इस तरह के सर्वेक्षण से किसानों को मुआवजा मिलने में प्रशासनिक देरी को कम करेगा.
इन नेताओं ने मांग की कि प्रभावित किसानों में कपास, सोयाबीन, धान और सब्जियों के उत्पादकों को 30,000 रुपये (प्रति एकड़) का मुआवजा दिया जाए और संतरे और अन्य फलों के बगानों को होने वाले नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाए. शेतकरी संगठन के पूर्व अध्यक्ष और समिति के संयोजक राम नेओले ने कहा कि कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया और बाद में शाम को रिहा कर दिया गया.
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एक प्रारंभिक मूल्यांकन के अनुसार, राज्य के 325 तालुकों में फैले 54.22 लाख हेक्टेयर भूमि में ज्वार, धान, कपास, मक्का, अरहर और सोयाबीन जैसी फसलों को नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह 10,000 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता देने की घोषणा की थी.
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इससे पहले बताया जा रहा था कि देश को आर्थिक मंदी (Economic Recession) से उबारने में किसानों (Farmers) की अहम भूमिका हो सकती है, क्योंकि मानसून (Monsoon) के इस साल मेहरबान रहने से खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार होने के साथ रबी फसलों की बुवाई में भी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि (Agriculture) भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी है और अच्छी पैदावार होने से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, जिससे मंदी से उबरने के मार्ग खुलेंगे.
हालांकि प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार का कहना है कि कृषि पैदावार बढ़ने के साथ-साथ किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलने से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) मजबूत होगी.
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