logo-image

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक का महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते में हुआ तबादला

दया नायक ने 1995 बैच के पुलिस अफसर दया नायक ने 85 के करीब गुंडों को मुठभेड़ में मार गिराया है.

Updated on: 25 Sep 2019, 08:17 AM

highlights

  • Encounter Specialist Daya Nayak का महाराष्ट्र एटीएस में हुआ ट्रांसफर. 
  •  पुलिस निरीक्षक नायक शहर के अंबोली पुलिस थाने में तैनात थे.
  •  1995 बैच के पुलिस अफसर दया नायक ने 85 के करीब गुंडों को मुठभेड़ में मार गिराया है.

नई दिल्ली:

अपराधियों (Criminals) से एनकाउंटर को लेकर चर्चा में रहने वाले पुलिस अधिकारी दया नायक (Daya Nayak) का मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) में तबादला कर दिया गया. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी में इसकी पुष्टि भी हो गई है. बता दें कि पुलिस निरीक्षक नायक शहर के अंबोली पुलिस थाने में तैनात थे.

बता दें कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर दया नायक एक समय मुंबई के अंडरवर्ल्ड में खौफ का पर्याय माना जाता है. मुंबई में जब गैंगवार अपने पूरे चरम पर था.

यह भी पढ़ें: भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे से भयंकर है बीजेपी-शिवसेना में सीटों का बंटवारा, जानें किसने कही ये बात

नायक पर बाद में Underworld से रिश्ते रखने और अपार संपत्ति रखने को लेकर आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं मिलने के बाद उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई और फिर जून 2012 में बहाल कर दिया गया था. तब उनकी पोस्टिंग मुंबई में ही की गई थी. इसके बाद साल 2014 में उनका तबादला नागपुर कर दिया गया था.

लेकिन काफी समय बीतने के बाद Daya Nayak नागपुर गए ही नहीं और दलील दी कि पोस्टिंग को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली. जिसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल ने उन्हें निलंबित कर दिया. गौरतलब है कि 1995 बैच के पुलिस अफसर दया नायक ने 85 के करीब गुंडों को मुठभेड़ में मार गिराया है.

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: कांग्रेस-NCP के लिए अस्तित्व बचाने की लड़ाई

गौरतलब है कि Daya Nayak साल 1995 में कर्नाटक स्थित अपने गांव में अपनी मां के नाम से बनाए गए स्कूल के चलते विवादों में घिरे थे. जिसको लेकर उनकी पत्नी और दो अन्य सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. साथ ही दया नायक पर बेनामी संपत्ति खरीदने का आरोप लगा था. हालांकि बाद में वो अदालत से निर्दोष साबित हुए थे और उनकी नियुक्त एक भी मुंबई पुलिस विभाग में हुई.