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भीमा कोरेगांव विजय दिवस पर लाखों लोगों के जुटने की उम्मीद, जानें क्या है इसका इतिहास

एक जनवरी 2020 को इस युद्ध की 202 वीं सालगिरह मनाई जा रही है. यहां मराठा सैनिकों और ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के बीच जंग हुई है.

Updated on: 01 Jan 2020, 10:52 AM

highlights

  • महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) में प्रशासन ने राजनीतिक दलों से भीमा-कोरेगांव (Political Parties) में किसी भी प्रकार के आयोजन नहीं करने को कहा है. 
  • प्रशासन ने किसी भी तरह के अतिरिक्त कार्यक्रम पर रोक लगा रखी है.
  • एक जनवरी 2020 को इस युद्ध की 202 वीं सालगिरह मनाई जा रही है.

पुणे:

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) में प्रशासन ने राजनीतिक दलों से भीमा-कोरेगांव (Political Parties) में किसी भी प्रकार के आयोजन नहीं करने को कहा है. प्रशासन ने किसी भी तरह के अतिरिक्त कार्यक्रम पर रोक लगा रखी है जबकि सरकारी स्तर पर भीमा-कोरेगांव विजय दिवस का आयोजन किया गया है. पुणे के कलेक्टर नवल किशोर राम के मुताबिक समारोह स्थल की ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखेगी.

एक जनवरी को होने वाले शौर्य दिवस कार्यक्रम में 10 लाख लोगों के पहुंचने की संभावना को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं. हर साल एक जनवरी को भीमा कोरेगांव में विजय स्तंभ के अभिवान के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. बता दें कि दो साल पहले भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी जिसके बाद हर ऐहतियात के तौर पर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए जाते हैं.

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क्या है भीमा कोरेगांव का इतिहास, क्यों है ये महत्वपूर्ण

भीमा कोरेगांव पेशवाओं के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध के लिए जाना जाता है. एक जनवरी 2020 को इस युद्ध की 202 वीं सालगिरह मनाई जा रही है. यहां मराठा सैनिकों और ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के बीच जंग हुई है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस युद्ध को महार रेजीमेंट के सैनिकों की बहादुरी की वजह से जीता. 

बाद में बाबासाहेब आंबेडकर यहां हर साल आते रहे. यह जगह पेशवाओं पर महारों यानी दलितों की जीत के एक स्मारक के तौर पर स्थापित हो गई. यहां हर साल उत्सव मनाया जाने लगा.

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इसी याद में यहां पर एक विजय स्तंभ बनाया गया है. हर साल एक जनवरी को देश भर से आए दलित समाज के लोग भीमा कोरेगांव पहुंचते हैं और विजय स्तंभ को सलाम करते हैं. विजय स्तंभ पर उन्ही म्हार योद्धाओं के नाम लिखे हुए हैं, जो इस लड़ाई में शामिल हुए थे.