भीमा कोरेगांव केसः शिवसेना-NCP में बढ़ी खींचतान, शरद पवार ने बुलाई मंत्रियों की बैठक
एल्गार परिषद केस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने के फैसले के बाद एनसीपी और शिवसेना के बीच खींचतान बढ़ गई है. शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की है.
मुंबई:
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को लेकर शिवसेना और एनसीपी के बींच खींचतान बढ़ती जा रही है. महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. इसी को लेकर दोनों पार्टियों के बीच दरारें आ गई हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस फैसले पर नाखुशी जताते हुए शरद पवार ने पार्टी के सभी 16 मंत्रियों की आज बैठक बुलाई है.
इससे पहले शरद पवार ने कोल्हापुर की रैली में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए मामले की जांच राज्य से अपने हाथ में लेने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को डर था कि इस मामले में राज्य सरकार कुछ कदम उठाने वाली है, इससे पहले ही केंद्र ने मामला अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था का मामला राज्य सरकार का होना चाहिए लेकिन केंद्र इसमें दखल दे रहा है.
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NPR को लेकर भी बवाल
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर भी कांग्रेस और एनसीपी का रुख शिवसेना से अलग है. केंद्र सरकार 1 मई से देशभर में एनपीआर की प्रक्रिया शुरू करने की अधिसूचना जारी कर चुकी है. शिवसेना ने भी कह दिया है कि वह इस मामले में केंद्र सरकार के साथ हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस शुरू से ही इस मामले का देशभर में विरोध कर रही है. अब एनसीपी भी कांग्रेस के समर्थन में आ गई है. इस मामले को लेकर दोनों पार्टियां शिवसेना से खींचतान में लगी हैं.
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एसआईटी का गठन करना चाहती है राज्य सरकार
दरअसल एल्गार परिषद केस की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार एसआईटी गठन करना चाहती है. राज्य में गृहमंत्रालय एनसीपी के पास है. एनसीपी नेता और गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि एल्गार परिषद केस की जांच के लिए एसआईटी गठन करने को राज्य सरकार कानूनविदों की सहायता ले रही है. हालांकि, पुणे की एक कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र सरकार ने केस की जांच एनआईए को दे दी है. इसी बात को लेकर शिवसेना और कांग्रेस का रुख शिवसेना से अलग है.
क्या है एल्गार परिषद केस
31 दिसंबर 2017 को कुछ लोगों ने भड़काऊ भाषण दिया था. इस भाषण के अगले ही दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. पुणे पुलिस का दावा है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था.
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