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अजित पवार ने अदालत में कहा, सिंचाई घोटाले की CBI या ED जांच की जरूरत नहीं

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक ने पिछले साल दिसम्बर में उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा था कि एसीबी जांच में पवार की कोई भूमिका नहीं पाई गई है.

Updated on: 15 Jan 2020, 11:09 AM

नागपुर:

महाराष्ट्र (Maharashtra) के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) ने करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में अपने खिलाफ दायर याचिकाओं का जवाब देते हुए बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) की नागपुर पीठ में एक हलफनामा दाखिल किया और आरोपों को ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ बताया. राकांपा (NCP) के नेता ने मंगलवार को दायर हलफनामे में यह भी कहा कि मामले की जांच सीबीआई (CBI) या ईडी (ED) को सौंपे जाने की जरूरत नहीं है.

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महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक ने पिछले साल दिसम्बर में उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा था कि एसीबी जांच में पवार की कोई भूमिका नहीं पाई गई है. यह कथित घोटाला विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC-वीआईडीसी) की 12 परियोजनाओं से संबंधित है. ऐसा आरोप है कि वीआईडीसी के तत्कालीन प्रमुख पवार और अधिकारियों ने परियोजनाओं के लिए निविदा जारी करते समय ठेकेदारों के साथ मिलीभगत की, जिससे सरकारी कोष को नुकसान पहुंचा.

जनमंच के अतुल जगताप ने कथित घोटाले के संबंध में चार जनहित याचिकाएं दायर की थी. उन्होंने उच्च न्यायालय से मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है. पवार ने हलफनामे में कहा कि जगताप खुद एक ठेकेदार हैं और उक्त परियोजनाओं की निविदाएं उन्होंने भी भरी थी, ऐसे में उनकी याचिका को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

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पवार ने हलफनामे में कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय को ऐसे आवेदनों पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए जिनमें निजी स्वार्थों, दुर्भावनापूर्ण इरादों, कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के चलते आरोप लगाए गए हैं और जो जनहित में नहीं है.’’ पवार ने कहा, ‘‘ मैं सभी आरोपों को सिरे से खारिज करता हूं.’’ मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होनी है.