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देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में खुले में शौच करते पकड़े गये व्यक्ति को मिली अनूठी सजा

नेशनल सेंपल सर्वे (NSSO) की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 28 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाके में लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

इंदौर:

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में बृहस्पतिवार को खुले में शौच करते पकड़े गये 30 वर्षीय व्यक्ति को शहरी निकाय ने अनूठी सजा दी. इस व्यक्ति को सड़क से कचरा जमा करने के काम में पांच घंटे तक पसीना बहाना पड़ा, क्योंकि उसके पास खुले में शौच पर वसूला जाने वाला जुर्माना चुकाने के पैसे नहीं थे. इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के स्वास्थ्य अधिकारी विवेक गंगराड़े ने "पीटीआई-भाषा" को बताया कि शहरी निकाय की टीम सफाई का निरीक्षण करने बृहस्पतिवार सुबह पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र पहुंची थी.

इस दौरान वहां 30 वर्षीय व्यक्ति को खुले में शौच करते पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने वाले इस व्यक्ति को खुले में शौच पर 100 रुपये का जुर्माना चुकाने को कहा गया. इसके बाद उसने अपने कृत्य पर माफी मांगते हुए कहा कि वह इंदौर के बाहर के एक स्थान से आया है और फिलहाल उसके पास इतनी रकम नहीं है. गंगराड़े ने बताया कि इस व्यक्ति को सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक आईएमसी की उस गाड़ी में तैनात कर दिया गया, जो सड़क किनारे लगे लिटरबिन (कचरे के छोटे डिब्बे) खाली कर कचरा संग्रह करती है.

उसने कचरा संग्रह करने के काम में पांच घंटे तक अपनी सेवाएं देकर शहर की साफ-सफाई में आईएमसी कर्मचारियों की मदद की. गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर लगातार तीन साल अव्वल आ चुका है. सफाई के इस सालाना मुकाबले में "जीत का चौका" लगाने के लिये शहरी निकाय कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है.

 नेशनल सेंपल सर्वे की रिपोर्ट

  • नेशनल सेंपल सर्वे (NSSO) की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 28 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाके में लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
  • 2 अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती नदी के किनारे यह ऐलान किया था कि भारत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो गया है
  • ग्रामीण इलाक़ों में 3.5 फ़ीसदी और शहरी इलाक़ों के 1.7 फ़ीसदी घर के सदस्यों ने कभी शौचालय का इस्तेमाल नहीं किया.
  • ग्रामीण भारत में पुरुषों के मुक़ाबले औरतों ने ज़्यादा टॉयलेट का इस्तेमाल किया. 94.7 फ़ीसदी पुरुषों की तुलना में ग्रामीण इलाक़ों में 95.7 फ़ीसदी औरतों ने टॉयलेट का लगातार इस्तेमाल किया.
  • स्वच्छ भारत मिशन के मुताबिक़, नवंबर 2016 से नवंबर 2019 तक सात करोड़ टॉयलेट बनाए गए.

(इनपुट भाषा से भी)