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MP: इन आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को मिल सकती है कांग्रेस की कमान

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया है. जिसके बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी नए कांग्रेस अध्यक्ष की मांग बढ़ गई है.

Updated on: 02 Jul 2019, 12:36 PM

highlights

  • कांग्रेस को ऐसे नेता की तलाश है जो सभी में समन्वय बना सके
  • पिछड़ा वर्ग के दो और 2 आदिवासी नेताओं के नाम की चर्चा
  • छत्तीसगढ़ को नया अध्यक्ष मिलने के बाद MP में बढ़ी मांग

नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया है. जिसके बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी नए कांग्रेस अध्यक्ष की मांग बढ़ गई है. कांग्रेस पार्टी यहां सर्वमान्य नेता की तलाश कर रही है. जो सभी गुटों के बीच समन्वय स्थापित कर सके.

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पार्टी युवाओं से जुड़े आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के नेताओं में संभावना ढूंढ़ रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता मोहन मरकाम (Mohan Markam) के अध्यक्ष बनने के बाद अब पार्टी मध्य प्रदेश में भी किसी आदिवासी या पिछड़े वर्ग के नेता को ढूंढ रही है.

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आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में साथ दिया था. लेकिन जब लोकसभा चुनाव 2019 आया तो कांग्रेस को उन विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली जहां अधिकांश आदिवासी वर्ग के मतदाता थे. राज्य के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली.

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उसके बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की लेकिन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha elections 2019) तक अध्यक्ष बने रहने को कहा. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से सिर्फ एक सीट मिली.

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वह थी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ की छिंदवाड़ा सीट. राज्य सरकार के मंत्री कमलेश्वर पटेल (Kamleshwar Patel) ने कांग्रेस की हार के लिए सभी मंत्रियों और नेताओं को जिम्मेदार ठहराया. वहीं एक अन्य मंत्री उमंग सिघार (Umang Sighar) राज्य में एक ऐसा अध्यक्ष चाहते हैं जो सभी को साथ लेकर चले.

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प्रदेश में नए कांग्रेस अध्यक्ष के संभावित चेहरे के रूप में आदिवासी नेताओं में बाला बच्चन और उमंग सिघार को देखा जा रहा है. वहीं पिछड़ा वर्ग से कमलेश्वर पटेल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के नाम की चर्चा है. ये चारों ऐसे नेता हैं जिनका किसी भी नेता से सीधे तौर पर मतभेद नहीं है और प्रदेश में दूसरी पंक्ति के नेता हैं.

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इस वजह से पार्टी का मानना है कि इन्हें पार्टी के दिग्गज नेताओं मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और गुना से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से समन्वय बनाने में दिक्कत नहीं आएगी. राज्य में लगभग 6 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से 114 पर कांग्रेस, 109 पर बीजेपी, 2 पर बसपा और 1 पर सपा ने जीत हासिल की थी. वहीं चार उम्मीदवार निर्दलीय जीते थे. प्रदेश की कमलनाथ सरकार सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है.