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मध्य प्रदेश में नौकरी छोड़कर जा रहे हैं पुलिसकर्मी, इस वजह से हैं परेशान

एसपी दफ्तर में पदस्थ एक प्रधान आरक्षक ने प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए उन्हें रिटायर कर देने की गुहार लगाई है.

Updated on: 22 Jun 2019, 01:31 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश की कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की कमान संभालते ही पुलिसकर्मियों को तनाव से निकालने के लिए छुट्टियों की व्यवस्था शुरू की थी. लेकिन अब कर्मचारी और उनके परिवार विभागीय प्रताड़ना के चलते अवसाद के शिकार होकर नौकरी छोड़ने तक की गुहार लगा रहे हैं. ताजा मामला बैतूल के है, जहां एसपी दफ्तर में पदस्थ एक प्रधान आरक्षक ने प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए उन्हें रिटायर कर देने की गुहार लगाई है.

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अब तक 237 बार पुरष्कृत हो चुके प्रधान आरक्षक दुर्गाप्रसाद सूर्यवंशी को विभाग ने बगैर ट्रांसफर  बैतूल से हरदा भेज दिया है. विभाग की इस कार्रवाई से प्रधान आरक्षक का परिवार परेशान है. आंख से बहते आंसू और रुंधे गले से सिसकिया लेती उनकी पत्नी को आशंका है कि कहीं प्रताड़ना से परेशान होकर उनका पति कोई गलत कदम न उठा ले. उनकी पत्नी का कहना है कि वे इतने तंग हैं कि रात रात भर भटकते रहते हैं. 

एसपी दफ्तर में पदस्थ प्रधान आरक्षक दुर्गा प्रसाद सूर्यवंशी को लोकसभा चुनाव के दौरान राजनैतिक शिकायतों के बाद बैतूल से होशंगाबाद आईजी आफिस अटैच कर दिया गया था. चुनाव के बाद उन्हें वापस तो कर लिया गया लेकिन आते ही उन्हें हरदा जिले में कानून व्यवस्था के नाम पर बगैर ट्रांसफर फिर भेज दिया गया. इसे प्रताड़ना मानते हुए सूर्यवंशी ने एसपी को चिट्ठी लिखकर उन्हें सेवानिवृत्त कर देने की गुहार लगा दी.

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उनका आरोप है कि दफ्तर के कुछ कर्मचारी उनकी झूठी शिकायत कर रहे हैं. अधिकारी उनकी फरियाद नहीं सुन रहे हैं. वहीं इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि प्रताड़ना जैसी कोई बात नही हैं, कर्मचारी की शिकायत की वजह से उन्हें दूसरे जिले में भेजा गया है. एएसपी रामसनेही मिश्रा का कहना है कि चुनाव आयोग में शिकायत हुई थी आयोग के ही आदेश पर उन्हें होशंगाबाद भेजा गया था. उसके बाद कानून व्यवस्था के चलते हरदा भेजा गया. प्रताड़ना जैसा कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है और ना ही कोई प्रताड़ना दी गई है.

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