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मध्य प्रदेश: वन भूमि पर काबिज वनवासियों और जनजातियों की बेदखली के आदेश पर रोक

वनवासियों और जनजातियों की बेदखली के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. उसके बाद भी राज्य के साढ़े तीन लाख परिवार संशय की स्थिति में हैं.

Updated on: 02 Mar 2019, 09:21 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में वन भूमि पर काबिज वनवासियों और जनजातियों की बेदखली के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. उसके बाद भी राज्य के साढ़े तीन लाख परिवार संशय की स्थिति में हैं. इसी के चलते राजधानी में शनिवार को एकता परिषद ने गांधी भवन में 'वनाधिकार-चुनौतियां और समाधान' विषय पर राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया है. एकता परिषद की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश को स्थगित कर दिया है, मगर मध्यप्रदेश में वनाधिकार के 354000 निरस्त दावों के दावेदारों पर खतरा अब भी मंडरा रहा है तथा दावा दाखिल करने से वंचित आदिवासी और वनवासी परिवारों के लिए काबिज रहना अब भी चुनौती बनी हुई है.

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परिषद ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद भी संबंधित परिवारों की समस्याओं पर विचार-विमर्श करने एक दिवसीय राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि भाग लेंगे. सम्मेलन में परिषद के संस्थापक और गांधीवादी पी. वी. राजगोपाल खासतौर से उपस्थित रहेंगे.

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ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने वादे निरस्त हो चुके परिवारों को बेदखल करने के आदेश दिए थे. बाद में इस आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने ही रोक लगा दी है.

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