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श्रीलंका में प्रस्तावित सीता के मंदिर पर मध्य प्रदेश में सियासी घमासान, बीजेपी-कांग्रेस आईं आमने-सामने

देश में भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मसले पर बहस चल रही हो, मगर मध्यप्रदेश में श्रीलंका में प्रस्तावित सीता मंदिर के निर्माण ने सियासी माहौल गरमा दिया है.

Updated on: 17 Jul 2019, 06:40 AM

नई दिल्ली:

देश में भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मसले पर बहस चल रही हो, मगर मध्यप्रदेश में श्रीलंका में प्रस्तावित सीता मंदिर के निर्माण ने सियासी माहौल गरमा दिया है. राज्य की पूर्ववर्ती शिवराज सरकार द्वारा श्रीलंका में सीता का मंदिर बनाए जाने के लिए गए फैसले पर वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए सवाल पर राज्य में सियासी तूफान खड़ा हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर जनभावना को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है, वहीं जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने चौहान को झूठी घोषणाएं कर वाहवाही लूटने वाला बताया. 

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शिवराज सरकार ने वर्ष 2010 में श्रीलंका में उस स्थान पर सीता मंदिर बनाने का ऐलान किया था, जहां रावण ने उन्हे बंधक बनाकर रखा था. उन्होंने इस मंदिर के लिए एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था. इस दिशा में बीते नौ साल में कोई काम नहीं हुआ है. इसीको लेकर वर्तमान राज्य सरकार एक अधिकारी को श्रीलंका भेजने की तैयारी में है. इस अधिकारी को श्रीलंका भेजा जाता, इससे पहले ही सियासी घमासान तेज हो गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, 'कमलनाथ सरकार के अफसर श्रीलंका जाकर सर्वे कराकर वेरिफाई करेंगे कि माता सीता का अपहरण हुआ था या नहीं. मित्रो, इससे ज्यादा हास्यास्पद कुछ हो सकता है क्या? पूरी दुनिया जिस सत्य को जानती है, उसकी जांच कराने की बात करके कमलनाथ सरकार ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.'

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वहीं राज्य सरकार के मंत्री शर्मा ने अधिकारी को श्रीलंका भेजने के सरकार के निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा कि शिवराज ने लोगों की प्रशंसा बटोरने के लिए श्रीलंका का दौरा किया था और वादा किया कि जिस जगह पर रावण ने सीता को बंधक बनाया था, वहां पर मंदिर बनाया जाएगा, मगर एक भी फाइल ऐसी नहीं मिली जिसमें वहां मंदिर बनाने के प्रयासों का जिक्र हो. मगर कमलनाथ सरकार ने रामपथ गमन का काम शुरू किया है, जहां से लोग गुजर सकेंगे.

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