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सरकारी अस्पतालों में घोर लापरवाही, नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर लिटाया

मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ के मामले सामने आए हैं. सरकारी अस्पतालों में नसबंदी सर्जरी के बाद मरीजों को फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ा.

Updated on: 01 Dec 2019, 09:38 AM

छतरपुर/विदिशा:

मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ के मामले सामने आए हैं. सरकारी अस्पतालों में नसबंदी सर्जरी के बाद मरीजों को फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ा. जिन महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन हुआ, उन्हें ऑपरेशन के बाद अस्पताल में बेड तक नहीं मिला. जिसके कारण महिला मरीजों को बेड के बजाय जमीन पर लिटा दिया गया. बात यहीं तक खत्म नहीं हुई, नसबंदी करवाने आईं महिलाओं के लिए एंबुलेंस तक सुविधा नहीं थी. वो अपने खर्चे पर अस्पताल पहुंची थीं. सिर्फ इतना ही नहीं, इलाज के बाद मरीजों को स्ट्रेचर भी नहीं मिला, जिसकी कारण उन्हें परिवार के लोग हाथों में उठाकर बाहर लेकर गए. 

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छतरपुर और विदिशा में स्वास्थ्य विभाग की यह घोर लापरवाही देखने को मिली है. छतरपुर के एक सरकारी अस्पताल में उनकी नसबंदी सर्जरी के बाद मरीजों को फर्श पर सोने के लिए बिस्तर लगाए गए थे. नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर ऐसे लेटाने से इंफेक्शन का खतरा भी था. जब इसको लेकर सिविल सर्जन आर त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'प्रति दिन नसबंदी के लगभग 30 मामले हैं। बिस्तर की सुविधा प्रदान करने के लिए, हमें बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है.' 

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इससे पहले विदिशा में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. विदिशा के लेटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी शिविर में अस्पताल के बेड के बजाय 37 महिलाओं को फर्श पर पड़ा देखा गया. नसबंदी के बाद महिलाओं को ठंड के इस मौसम में जमीन पर ही लेटा दिया गया. हालांकि बात सुर्खियों में आई तो इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केएस अहिरवार का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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