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मध्यप्रदेश: राहुल गांधी को मंदसौर दौरे की नहीं मिली अनुमति, कांग्रेस ने मांगा शिवराज सरकार का इस्तीफा

राहुल गांधी को मध्य प्रदेश सरकार ने मंदसौर का दौरा करने की अनुमति नहीं दी है, जहां गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई है।

Updated on: 07 Jun 2017, 04:39 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को मध्य प्रदेश सरकार ने मंदसौर का दौरा करने की अनुमति नहीं दी है, जहां गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई है।मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, 'राज्य सरकार ने राहुल गांधी को मंदसौर का दौरा करने की अनुमति नहीं दी।'

कांग्रेस नेता ने कहा कि कथित तौर पर पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिजनों के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए राहुल गांधी मंदसौर का दौरा करने वाले थे।

वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कमलनाथ ने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार की नीतियों के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। किसनों को फसलों की उत्पाद लागत भी नहीं मिल पा रही है। अन्नदाता अपनी मेहनत से उगाई फसल को सड़कों पर फेंकने को मजबूर है। कमलनाथ ने कहा कि किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने उनकी मांगें मानने की बजाय उनपर गोलियां और लाठियां बरसा दी। मध्यप्रदेश सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों का दमन करने में लग गई है।

कमल नाथ ने कहा है कि किसानों के साथ नाइंसाफी हुई है। लाशों पर बोली लगाई जा रही है, ये शर्म की बात है। साथ ही उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान को इस्तीफा देना चाहिए।

किसान आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग और मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मीटिंग की। सूत्रों के अनुसार देश के कई हिस्सों में किसानों का प्रदर्शन और मंदसौर में हुई फायरिंग पर इसमें चर्चा हुई। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह समेत कई वरिष्ठ मंत्री इस बैठक में शामिल हुए।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मंदसौर में प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम पांच किसानों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल घायल हो गए हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मंदसौर तथा पिपलिया मंडी क्षेत्र में फिलहाल कर्फ्यू लगा दिया गया है।

ऋण माफी तथा उत्पादों की वाजिब कीमत की मांगों को लेकर मध्य प्रदेश में किसान बीते एक जून से ही हड़ताल पर हैं।

मध्य प्रदेश के किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है जितना पैसा वे अपनी फसल उगाने में लगा रहे हैं, उतना उन्हें उसे बेचने में नहीं मिल रहा है। इससे किसान की हालत बहुत खराब हो गई है और वे कर्ज के तले दबे हुए हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है लेकिन सरकार किसानों के गेहूं को इस कीमत पर नहीं खरीद रही है, जिसके कारण उन्हें अपने उत्पाद को 1200 रुपए से 1300 रुपए प्रति क्विंटल मजबूरी में बाजार में बेचना पड़ रहा है।

इससे ज्यादा कीमत पर कोई भी किसान से गेहूं खरीदने को तैयार नहीं है। प्याज एवं संतरे तो बहुत ही कम दाम मिलने के कारण किसानों को फेंकने पड़ रहे हैं।