मध्यप्रदेश दोहरा रहा इतिहास, सिंधिया परिवार के कारण दूसरी बार जा रही कांग्रेस सरकार!
उल्लेखनीय है कि 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था, और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले. डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा
नई दिल्ली:
कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता है इस कहावत को हम एक बार फिर से मध्यप्रदेश में चरितार्थ होते हुए देख रहे हैं. मध्य प्रदेश में 53 साल बाद इतिहास एक बार फिर अपने आपको दोहरा रहा है. आपको बता दें कि आज से 53 साल पहले 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वजह से कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी. अब उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता से बेदखल हो रही है. 1967 में विजया राजे ने कांग्रेस को अलविदा कहकर लोकसभा चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की. अब ज्योतिरदित्य भाजपा से राज्यसभा में जाने वाले हैं.
उल्लेखनीय है कि 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था, और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले. डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था. अब एक बार फिर वही पटकथा लिखी गई है. ज्योतिरादित्य खेमे के 20 कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा स्वीकार होते ही कमलनाथ सरकार विधानसभा में अल्पमत में आ जाएगी. ऐसे में भाजपा कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और कमलनाथ सरकार गिर सकती है.
यह भी पढ़ें-मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने मानी हार, इस नंबर गेम के लिहाज से बीजेपी की सरकार बनना तय
1967 में राजमाता की डीपी मिश्रा से हुई थी अनबन
दरअसल, ग्वालियर में 1967 में एक छात्र आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन को लेकर राजमाता की उस समय के सीएम डी.पी. मिश्रा से अनबन हो गई थी. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. बाद में राजमाता सिंधिया गुना संसदीय सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा का चुनाव जीत गईं. इसके बाद सिंधिया ने कांग्रेस में फूट का फायदा उठाते हुए 36 विधायकों के समर्थन वाले सतना के गोविंदनारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनवाकर प्रदेश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनवा दी थी.
यह भी पढ़ें-सिंधिया को कांग्रेस छोड़ने के लिए मनाने में बड़ौदा राजघराने की भूमिका ! जानें पर्दे के पीछे का खेल
जनसंघ से जुड़ीं थी राजमाता
कांग्रेस छोड़ने के बाद राजमाता जनसंघ से जुड़ीं और बाद में भाजपा की फाउंडर सदस्य बनीं. राजमाता को भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया. 1967 से जुड़ी कहानी आज फिर दोहराई जा रही है. एक-एक कर किरदार अपना रोल अदा कर रहे हैं.
सिंधिया के फैसले पर हैरान नहीं हूंः नटवर सिंह
कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने होली के पर्व पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस से इस्तीफा देने से पहले सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुलाकात की थी. सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस नेताओं के रिएक्शन आने शुरू हो गए हैं. कांग्रेस सरकार के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह सिंधिया के फैसले पर कोई खास हैरानी नहीं जाहिर की है. नटवर सिंह ने कहा, 'मुझे आश्चर्य नहीं है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे. मुझे लगता है कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा और केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. उनके पिता माधवराव सिंधिया अगर रहते तो वे प्रधानमंत्री होते.'
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी, भग्योदय होने में नहीं लगेगा समय
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी
-
Sanatan Dharma: सनातन धर्म की बड़ी भविष्यवाणी- 100 साल बाद यह होगा हिंदू धर्म का भविष्य
-
Aaj Ka Panchang 25 April 2024: क्या है 25 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय