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Chhindwara: कांग्रेस का किला नहीं भेद पाई BJP, नकुलनाथ जीते

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. क्योंकि अबतक यहां भाजपा एक भी बार नहीं जीती है. इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 35 सालों तक सांसद रह चुके हैं.

Updated on: 23 May 2019, 12:21 AM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. क्योंकि अबतक यहां भाजपा एक भी बार नहीं जीती है. इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 35 सालों तक सांसद रह चुके हैं. छिंदवाड़ा सीट इस बार नाक का सवाल है. क्योंकि यहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को कांग्रेस ने उतारा है.

वहीं भाजपा ने नत्थनशाह को मैदान में उतारा है. कमलनाथ के सामने भी भाजपा ने सिर्फ तीन बार ही प्रत्याशी बदला. एक बार उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा लड़े. जबकि एक बार प्रहलाद पटेल. एक बार प्रतुलचंद द्विवेदी मैदान में उतरे थे. सुंदरलाल पटवा के अलावा वैसे किसी को सफलता नहीं मिली.

लेकिन बाद में वह भी हार गए. नत्थनशाह को टिकट देने में बीजेपी ने वैसे बहुत वक्त लगाया. लोगों में यह भी चर्चा हो रही थी की नकुल नाथ निर्विरोध ही जीत जाएंगे. नत्थन शाह यह किला भेद पाते हैं या नहीं इसका फैसला आज होगा. हालांकि बीजेपी के लिए छिंदवाड़ा की राह आसान नहीं है.

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छिंदवाड़ा से लोकसभा प्रत्याशी नकुलनाथ ने जीत हासिल की है. 

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अब तक मिले रुझानों के मुताबिक एनडीए को 342 सीटें, यूपीए को 86 सीटें, सपा-बसपा गठबंधन को 20 और अन्य को 91 सीटों पर बढ़त हासिल है. इस हिसाब से पीएम मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

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नत्थन शाह कांग्रेस के नकुल नाथ से 800 वोटों से पीछे हैं.

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एक राउंड की गणना में लगता है इतना समय


प्रत्‍येक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ 14 ईवीएम की गिनती एक साथ होती है. अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है. मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट पैनी निगाह रखे रहते हैं. उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है.

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गिनती शुरू करने की क्या है नियमावली


पोस्टल बैलेट बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट (ETPBS) भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है. इन पर QR कोड होता है. उसके जरिए गिनती होती है. आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं.

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7:45 बजे से शुरू होगी काउंटिंग


सुबह 7:45 से मतों की गणनाशुरू हो जाती है. सरकारी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों द्वारा पोस्टल बैलेट के जरिए डाले गए वोटों की गिनती पहले होती है. सेना के कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान का अधिकार है. पोस्टल बैलेट के लिए चार टेबल तय होते हैं. सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं.

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ये करते हैं वोटों की गिनती


Counting से पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह नहीं बताया जाता है कि उसे किस सेंटर पर भेजा जाएगा. काउंटिंग के दिन इन कर्मचारियों को सुबह 5 बजे काउंटिंग टेबल पर बैठना होता है. हर काउंटिंग टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, असिस्टेंट व माइक्रो पर्यवेक्षक होता है. इसके बाद इनके टेबल पर बैलेट यूनिट रखी जाती हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी भी की जाती है.


मतगणना में सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं. इन्‍हें एक हफ्ते पहले काउंटिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में जिला निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से संबंधित जिले के वे अधिकारी शामिल होते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगी है. काउंटिंग से एक दिन पहले ट्रेंनिंग देने बाद उन्हें संबंधित संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज जाता है.