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क्या मध्य प्रदेश में भी मंडराने वाला है सियासी संकट, ऐसे निकाले जा रहे विधायकों के भोज के मायने

कमलनाथ सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर विधायकों के भोज का आयोजन राजनीति के गलियारे में चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है.

Updated on: 12 Jul 2019, 03:19 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक और गोवा में सियासी उठापटक के बीच मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल दौरे ने राज्य के सियासी माहौल में और ज्यादा हलचल ला दी है. और फिर इसके बाद कमलनाथ सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर विधायकों के भोज का आयोजन राजनीति के गलियारे में चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है. कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) की सरकार पर गहराए संकट के बीच इस भोज के राजनीतिक मायने खोजे जा रहे हैं.

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माना जा रहा है कि जिस तरह से कर्नाटक और गोवा में हालात पैदा हुए हैं, वैसे कहीं मध्य प्रदेश में न हो, इसीलिए कांग्रेस पार्टी ने सभी विधायकों को भोज पर बुलाया. तुलसीराम सिलावट के आवास पर आयोजित एकजुटता प्रदर्शन कार्यक्रम में कांग्रेस और सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलियों, समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के विधायकों सहित सभी 121 विधायक भी पहुंचे.

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने डिनर पार्टी के बाद यह दावा किया कि उनकी इस डिनर पार्टी में 119 विधायक मौजूद रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री प्रियव्रत सिंह किसी काम से बाहर गए हैं, इसलिए वह नहीं आ पाए और मंत्री पीसी शर्मा की इस पार्टी में मौजूद रहे, लेकिन उनकी पत्नी पूरे समय यहां मौजूद रहीं. तुलसी सिलावट ने यह भी कहा कि कांग्रेस के सभी विधायक एक हैं और किसी भी तरह से मध्यप्रदेश में गोवा और कर्नाटक के जैसा माहौल नहीं बन पाएगा. उन्होंने डिनर पार्टी के बाद यह भी कहा कि चर्चाएं काफी हुई है लेकिन पार्टी को लेकर हुई है, ना की किसी अन्य मसले पर.

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तुलसीराम सिलावट के इसी बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है आखिर कैसे मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी खुद को खतरे में मान रही है. लेकिन राज्य के मुखिया कमलनाथ कह रहे हैं कि गोवा और कर्नाटक से मध्य प्रदेश की तुलना न करें. उन्होंने कहा कि किस बात के कयास लगाए जा रहे हैं, यह किसी भी प्रकार की समस्या नही हैं. कमलनाथ ने कहा कि यह बैठकर दिल्ली की चर्चा कर रहे थे ना कि गोवा और कर्नाटक की. उन्होंने कहा कि मेरे दिल्ली निवास पर 8 दिन पहले लंच हुआ था. मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवा और कर्नाटक से मध्य प्रदेश की तुलना न करे. वह एलाइंस का प्रश्न है. गोवा में पहले से ही विधायक बाहर से आए थे और बाहर चले गए.

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मध्य प्रदेश में संकट की बात को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि डिनर रोज की बात है ये भाई चारे की भावना की बात है. मेरे लिए राजनीति से ज्यादा इंसानियत है. आज हमारे सभी विधायकों से चर्चा की गई है कि उनकी आशा क्या है. जनता के बीच कैसा काम करना है. इन तमाम चीजों को लेकर यहां पर यह बात ही गई है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि बीजेपी मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखे है, लेकिन मध्य प्रदेश में 5 साल तक सरकार चलेगी.

कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में भले ही खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है, लेकिन इस राजनीतिक भोज के मायने एकमात्र कमलनाथ सरकार के रूप खतरे की घंटी के रूप में निकाले जा रहे हैं. सिंधिया के भोपाल दौरे को लेकर भी जिस तरह से प्रदेश में हलचल पैदा हुई, वो भी इसी बात के संकेत देते हुए दिखाई दे रहे हैं. एक वजह यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी भी समय-समय पर राज्य में कर्नाटक जैसे हालात पैदा होने के संकेत दे चुकी है.

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