क्या संकट में है मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार? इससे तो ऐसा ही लगता है
महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अब मध्य प्रदेश में भी राजनीतिक संकट गहराने लगा है.
भोपाल:
महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अब मध्य प्रदेश में भी राजनीतिक संकट गहराने लगा है. काफी समय से असंतुष्ट चल रहे पार्टी महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना ट्विटर स्टेटस बदल दिया है तो मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर कयासबाजी तेज हो गई है. इसी बीच कांग्रेस के 20 विधायकों के लापता होने की खबर सामने आ रही है. जिसके बाद माना यही जा रहा है कि बीजेपी ने अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश में बड़ा झटका देने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है.
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वैसे तो राज्य के बीजेपी नेता अरसे से सरकार गिराने के पक्ष में रहे हैं, मगर केंद्रीय नेतृत्व की इसके लिए हरी झंडी नहीं मिल रही थी. लेकिन अब कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व भी कांग्रेस को उलझाने के लिए तैयार हो गया हैं और उसने कांग्रेस में सेंधमारी की तैयारी कर ली है. कहा यह भी जा रहा है कि इस बारे में कई नेताओं के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं. इतना ही नहीं सिंधिया की भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछले दो-तीन दिन पहले नई दिल्ली में मुलाकात हो चुकी है. इस बीच सिंधिया के ट्विटर स्टेटस में बदलाव से भी इस खबर को बल मिलता है.
ऐसा नहीं है कि सिंधिया अभी पार्टी से नाराज हुए हैं, वो लंबे अरसे से पार्टी की कार्यशैली से खुश नहीं हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद उन्हें और उनके समर्थकों को वह समर्थन नहीं मिल रहा है, जो वे चाहते हैं. इसे लेकर सिंधिया गाहे बगाहे अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं. सिंधिया ने कई बार समस्याओं को लेकर कमलनाथ को पत्र लिख चुके हैं. इनमें से कई समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हुआ. सिंधिया समर्थक राज्य सरकार में मंत्री इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर आदि खुले तौर पर सिंधिया को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाने की पैरवी कर चुके हैं. बीजेपी ने भी कांग्रेस में नाराज सिंधिया से संपर्क बढ़ा लिया है. साथ ही सिंधिया समर्थक विधायकों की लामबंदी के प्रयास तेज कर दिए हैं.
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अगर बीते 11 महीनों के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात तो साफ हो जाती है कि भारतीय जनता पार्टी लगातार कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में रही है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव हों या महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, वे कई बार यह बात कह चुके हैं कि कांग्रेस सरकार हाईकमान के निर्देश पर कभी भी गिराई जा सकती है. इस बीच सिंधिया की कांग्रेस से दूरी और उसके विधायकों के लापता होने से तो यही लगता है कि कमलनाथ सरकार को जल्द ही बड़े राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.
वैसे भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार मजबूत स्थिति में नहीं है. 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 115 विधायक हैं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 116 है. अभी राज्य में उसकी सरकार बाहरी समर्थन से चल रही है. बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस सरकार को समर्थन हासिल है, जिसमें से कई विधायक समय-समय पर आंखें तरेरते रहते हैं. उधर, विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या 106 है, जबकि एक सदस्य की सदस्यता का मामला अधर में लटका हुआ है. ऐसे में बीजेपी को बहुमत या यूं कहे कि सरकार बनाने के लिए कम से कम 10 विधायकों की जरूरत है. अगर किसी तरह से बीजेपी सिंधिया को अपने साथ ले आती है, तो वह फिर से सत्ता की कुर्सी हासिल कर सकती है. क्योंकि सिंधिया के साथ उनके समर्थक मंत्री और कई विधायक भी कांग्रेस से दूरी बना सकते हैं. फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि आने वाले दिन राज्य की सियासत के लिए काफी अहम होंगे.
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