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कमलनाथ को सता रहा सरकार गिरने का डर, इंटेलिजेंस के जरिए 'विधायकों' पर रखी जा रही नजर

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं.

Updated on: 04 Jun 2019, 11:59 AM

highlights

  • कमलनाथ को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का डर
  • बीजेपी पहले ही कह चुकी है वह विधायकों को नहीं खरीदती

भोपाल:

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि कमलनाथ सरकार अपने और सहयोगी दलों के विधायकों पर इंटेलिजेंस की नजर रख रही है.

विधायकों की हर गतिविधि को देखा जा रहा है. कौन विधायक किससे मिल रहा है और किससे नहीं इस बात की नजर रखी जा रही है. इस तरह से इंटेलिजेंस की निगरानी रखने का कारण यह है कि कमलनाथ को 'हॉर्स ट्रेडिंग' का डर सता रहा है. कमलनाथ को यह डर सता रहा है कि उनके विधायकों की खरीद फरोख्त की जा सकती है.

अगर ऐसा हुआ तो उनकी सरकार गिर जाएगी. अगर एक भी विधायक अपना समर्थन वापस लेता है तो कमलनाथ की सरकार गिरना तय है. लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से बीजेपी ने 28 सीटों पर कब्जा जमाया है. जिसके बाद कमलनाथ को सरकार गिरने का कुछ ज्यादा ही डर है. इसके लिए वह निर्दलीय विधायकों से भी मुलाकात कर चुके हैं.

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस मध्य प्रदेश में बुरी तरह हारी है. हाल यह रहा कि अपनी घरेलू सीट गुना से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया हार गए. कांग्रेस राज्य की 29 सीटों में से सिर्फ 1 सीट जीत पाई. छिंदवाड़ा से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ही जीत देख पाए.

हालांकि एक्जिट पोल को कमलनाथ ने नकारते हुए कहा था कि कांग्रेस 20-22 सीटें जीतेगी. जिसके जवाब में बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि कमलनाथ सरकार 20-22 दिन ही चलेगी. अब जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में एक बार फिर आ गई है तो कमलनाथ को डर है कि बीजेपी उनकी सरकार को गिरा सकती है.

फिलहाल बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता कह चुके हैं कि बीजेपी खरीद फरोख्त में विश्वास नहीं रखती है. कमलनाथ की सरकार को गिराने का उनका कोई इरादा नहीं है. लेकिन कमलनाथ सरकार अंदरूनी कलह से गिर जाएगी.