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हनीट्रेप सेक्सकांड : 9 दिन में SIT को मिला तीसरा प्रमुख

मध्य प्रदेश में रसूखदारों को अपने जाल में फंसाने वाली महिलाओं के राज उजागर करने के लिए बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच टीम) के प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी का तबादला कर दिया गया है, साथ ही नई एसआईटी का गठन किया गया है.

Updated on: 02 Oct 2019, 03:21 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में रसूखदारों को अपने जाल में फंसाने वाली महिलाओं के राज उजागर करने के लिए बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच टीम) के प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी का तबादला कर दिया गया है, साथ ही नई एसआईटी का गठन किया गया है. नौ दिन के भीतर एसआईटी प्रमुख में यह तीसरा बदलाव है. इस बदलाव को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. राज्य में महिलाओं के गिरोह की, सरकार, प्रशासन, ठेकेदारों, कारोबारियों के बीच घुसपैठ और उन्हें ब्लैकमेल कराए जाने के मामले का खुलासा होने के बाद 23 सितंबर को एसआईटी जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक डी श्रीनिवास वर्मा की अगुवाई में टीम गठित की गई.

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वे इंदौर के लिए रवाना हो पाते कि, उससे पहले 24 सितंबर को दूसरी एसआईटी बनाई गई, जिसका प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी को बनाया गया. शमी ने इस मामले पर तेजी से काम करना शुरू भी कर दिया था. एसआईटी की जांच जारी थी, बड़ी संख्या में वीडियो क्लिपिंग बरामद किए जाने के साथ डायरी भी जांच दल के हाथ लग गई थी. अंदरखाने से कई तरह की खबरें आ रही थीं, कई बड़े नेताओं और नौकरशाहों के खुले तौर पर नाम हवाओं में तैरने लगे, इसी बीच अब मंगलवार की रात को एक नया आदेश जारी कर शमी को एसआईटी से हटा दिया गया और जांच का मुखिया विशेष पुलिस महानिदेशक राजेंद्र कुमार को बना दिया गया.

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राजेंद्र कुमार को विशेष पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम भी बनाया गया है. उनके साथ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मिलिंद कानस्कर व इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रुचिवर्धन मिश्र को एसआईटी का सदस्य बनाया गया है.

सूात्रों का कहना है कि, दो डीजीपी स्तर के अधिकारियों के बीच हुए विवाद की घटना और पुलिस की बिगड़ती छवि पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी पिछले दिनों मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक के साथ हुई बैठक में नाराजगी जाहिर की थी. उसी के बाद एसआईटी में बदलाव किया गया है. एसआईटी का नौ दिन में तीसरा प्रमुख बनाए जाने पर सवाल भी उठ रहे हैं.

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भाजपा नेता और पूर्व खनिज निगम के उपाध्यक्ष गोविंद मालू का कहना है, "कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 'वक्त है बदलाव का' नारा दिया था, सत्ता में आने के बाद अधिकारियों के थोक बंद तबादले और फिर एसआईटी को बदल-बदलकर इस नारे को साबित किया जा रहा है. सवाल उठ रहा है कि सरकार आखिर किस को बचाने के लिए एसआईटी में बार-बार बदलाव कर रही है. जांच दल को जांच का तरीका नहीं सूझ रहा. इसीलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की जा रही है."

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वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता सैयद जाफर का कहना है कि यह गंभीर मामला है और संवेदनशील मुद्दा है, इसमें पूर्व की सरकार के मंत्री और अधिकारी जुड़ रहे हैं, जिनमें से कई अधिकारी वर्तमान में भी हैं, इस मामले की संवेदनशीलता से जांच होनी चाहिए और सरकार ऐसा कर रही है, सतर्क है. भाजपा के पास ऐसा कोई तर्क अथवा तथ्य हो जिससे साबित हो कि सरकार किसी को बचा रही है तो उसे जनता के बीच में लाएं."