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मध्‍य प्रदेश में इस समय तक फोड़े जा सकेंगे पटाखे, नहीं मानें तो होगी कार्रवाई

मध्य प्रदेश में दीपावली के मौके पर आतिशबाजी का समय सरकार ने निश्‍चित कर दिया है. राज्य के गृह विभाग ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि दीपावली के दिन आतिशबाजी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत ही पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जाए.

Updated on: 07 Nov 2018, 01:52 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में दीपावली के मौके पर रात आठ से 10 बजे की मध्य ही पटाखे  फोड़े जा सकेंगे. राज्य के गृह विभाग ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि दीपावली के दिन आतिशबाजी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अंतर्गत नियत समय-सीमा रात आठ से 10 बजे तक का पालन कराया जाए.

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गृह विभाग के निर्देशों में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना-उल्लंघन की दशा में संबंधित थाना प्रभारी को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार माना जाएगा. जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि सभी थाना प्रभारियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के संबंध में विस्तृत जानकारी दें, ताकि आदेश का पालन हो सके और किसी भी दशा में अवमानना की स्थिति नहीं बने.

यह है आदेश

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट  ने पिछले मंगलवार को दिवाली  पर पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी. कोर्ट के आदेश के अनुसार अब राजधानी में केवल ग्रीन पटाखें ही बिकेंगे और छोड़े जाएंगे. वह भी केवल दो घंटे के लिए रात 8 बजे से 10 बजे तक. कोर्ट ने कहा कि अगर प्रतिबंधित पटाखे बेचे या छोड़े जाते हैं तो संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ अवमानना का केस चलेगा.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 40 फीसदी घटी पटाखों की बिक्री, बाजार में छाई मंदी

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटाखों की बिक्री और उसे जलाने पर कड़े नियम लागू किए जाने के कारण देश के 20,000 करोड़ रुपये के पटाखा कारोबार पर असर पड़ा है और दिवाली के दौरान बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

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पटाखा निर्माताओं ने केंद्र सरकार से 'हरित पटाखे' के निर्माण के लिए दिशानिर्देश जारी करने और समग्र नीति लागू करने की मांग की है. कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "पटाखों का देश भर में सालाना 20,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इस साल बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी की गिरावट आई है. हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं. यह पर्यावरण के लिए अच्छा है, लेकिन बाजार में मंदी छा गई है."