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भोपाल में कांस्टेबल को डीजीपी तक ने मारा सैल्यूट, जानिए क्यों

आपने फिल्मों में तो अक्सर ऐसा देखा होगा कि एक नायक एक दिन का मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन जाता है, मगर मध्यप्रदेश में एक ऐसे कांस्टेबल हैं, जिन्हें बीते एक दशक से एक दिन कुछ घंटे का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल रहा है और इस दिन तमाम बड़े अधिकारी उन्हें सल्यूट मारते हैं.

Updated on: 15 Aug 2019, 11:50 AM

नई दिल्ली:

आपने फिल्मों में तो अक्सर ऐसा देखा होगा कि एक नायक एक दिन का मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन जाता है, मगर मध्यप्रदेश में एक ऐसे कांस्टेबल हैं, जिन्हें बीते एक दशक से एक दिन कुछ घंटे का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल रहा है और इस दिन तमाम बड़े अधिकारी उन्हें सल्यूट मारते हैं. स्वाधीनता दिवस समारोह की हर तरफ तैयारियां चल रही हैं. राजधानी के लाल परेड मैदान में फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान नजारा पूरी तरह स्वाधीनता दिवस जैसा ही था. इस मौके पर एक व्यक्ति को डमी मुख्यमंत्री बनाया गया था, जिसे तमाम अधिकारी सल्यूट मारे जा रहे थे. सल्यूट मारने वालों में छोटे कर्मचारी से लेकर पुलिस महानिदेशक तक शामिल थे. अफसर जिसे सल्यूट मार रहे थे, वह कोई और नहीं पुलिस महकमे के कांस्टेबल रामंचद्र कुशवाहा हैं.

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रामचंद्र कुशवाह भोपाल पुलिस में आरक्षक हैं. आम दिनों में वह एक आरक्षक की तरह अपनी ड्यूटी निभाते हैं, लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर वह एकाएक बेहद खास हो जाते हैं. उनका रुतबा भी मुख्यमंत्री की तरह होता है. हालांकि यह रुतबा सिर्फ पांच घंटे के लिए रहता है. रामचंद्र कुशवाह के लिए यह पहला अवसर नहीं था, इससे पहले वह नौ बार मुख्यमंत्री की भमिका निभा चुके हैं और आज उन्होंने 10वीं बार यह भूमिका निभाई. 

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रामचन्द्र को इस बात की खुशी होती है कि वह अपना काम बखूबी कर रहे हैं. महज एक सिपाही होने बाद भी प्रदेश के पुलिस मुखिया से लेकर कलेक्टर, एसपी तक सब सलाम करते हैं. रामचंद्र अपने इस किरदार से खुश तो होते हैं, लेकिन उनके लिए यह ड्यूटी है और वह अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से करते हैं. उन्हें इस बात की ख़ुशी होती है कि वह अपना काम बखूबी कर रहे हैं. महज एक सिपाही होने के बाद भी प्रदेश के पुलिस मुखिया से लेकर कलेक्टर, एसपी तक सब सलाम करते हैं. रिहर्सल के दौरान वह डायस पर जाकर बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को संबोधित भी करते हैं, कुछ घंटों के लिए ही सही पर असली मुख्यमंत्री का ट्रीटमेंट मिलना रामचन्द्र के लिए गर्व से कम नहीं है. कई विजेताओं को पुरस्कार भी देते हैं.