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व्यापम घोटाला : आरक्षक भर्ती परीक्षा में 31 दोषी, सजा का ऐलान 25 नवंबर को

सजा का ऐलान 25 नवंबर को किया जाएगा. दोषी ठहराए गए आरोपियों में से अधिकांश भिंड, मुरैना और कानपुर के रहने वाले हैं. न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार, आरक्षक भर्ती मामले की पहली प्राथमिकी इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में दर्ज की गई थी.

Updated on: 22 Nov 2019, 12:25 PM

Bhopal:

मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा वर्ष 2013 में आयोजित आरक्षक (कांस्टेबल) भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.बी. साहू ने गुरुवार को 31 लोगों को दोषी करार दिया. सजा का ऐलान 25 नवंबर को किया जाएगा. दोषी ठहराए गए आरोपियों में से अधिकांश भिंड, मुरैना और कानपुर के रहने वाले हैं. न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार, आरक्षक भर्ती मामले की पहली प्राथमिकी इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में दर्ज की गई थी. उसके बाद यह मामला एसटीएफ और फिर सीबीआई के पास पहुंचा. सीबीआई ने इस परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में 31 लोगों को आरोपी बनाया था. इस मामले में गवाही वर्ष 2014 से शुरू हुई और पांच साल तक गवाही चली.

सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश साहू द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद सभी आरोपियों के चेहरों पर मायूसी छा गई. उसके बाद दोषियों को जेल भेज दिया गया. दोषी करार दिए गए आरोपियों ने बाहर आकर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान अपने को निर्दोष करार दिया. इस मामले में सजा 25 नवंबर को सुनाई जाएगी.

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सूत्रों के अनुसार, आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी में जिन 31 को आरोपी बनाकर दोषी ठहराया गया है, उनमें से अधिकांश भिंड, मुरैना और कानपुर के निवासी बताए जा रहे हैं. व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था. तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले को अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया था.

बाद में उच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और उसने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल, 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा. नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की.

तत्कालीन सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ़ पी़ शुक्ला, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापम के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिंद्रा जेल जा चुके हैं.

यह बड़ा चर्चित मामला रहा है, जिसमें लगभग ढाई हजार को आरोपी बनाया गया, इनमें से कुल 2100 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं, इससे जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में एक निजी समाचार चैनल के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह भी शामिल हैं.