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भोपाल की पहली महिला कुली, जिनकी पहचान है बिल्ला नंबर 13

कहा जाता है कि अगर किसी चीज को करने की ठान ली जाए तो वह पूरी हो जाती है. ऐसी ही एक महिला हैं जिन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए आने वाली मुश्किलों को कम करने का रास्ता ढूंढ लिया.

Updated on: 23 Sep 2019, 02:54 PM

भोपाल:

कहा जाता है कि अगर किसी चीज को करने की ठान ली जाए तो वह पूरी हो जाती है. ऐसी ही एक महिला हैं जिन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए आने वाली मुश्किलों को कम करने का रास्ता ढूंढ लिया. भोपाल रेलवे स्टेशन पर एक महिला हैं जो अपने परिवार को पालने के लिए दूसरों का बोझ उठाती हैं. अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य देने के लिए भोपाल की लक्ष्मी कुली का काम करती हैं.

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पति की अचानक मौत के बाद लक्ष्मी के सामने परिवार को चलाने का कोई चारा नहीं था. सर से ठत जा चुकी थी. बच्चे सरकारी स्कूल में था लेकिन उसकी फीस देने तक के लिए सरकार के पास पैसा नहीं था. बड़ी उम्मीदों के साथ जो लक्ष्मी अपना घर छोड़कर पति के घर आई थीं उनका जीवन अंधेरे में डूब गया. लक्ष्मी का पति राकेश कुली था.

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उसके दोस्तों ने रेलवे के अफसरों से बात करने के लिए कहा. लक्ष्मी ने जब अफसरों से बात की तो उन्होंने लक्ष्मी को एक अलग पहचान दी. भोपाल रेलवे स्टेशन पर लक्ष्मी अब बिल्ला नंबर 13 के नाम से जानी जाती हैं. लक्ष्मी भोपाल की पहली महिला कुली हैं. लक्ष्मी रोज नाइट ड्यूटी करने भोपाल स्टेशन आती हैं. शाम के 6 बजे ड्यूटी शुरु होती हैं जो देर रात तक चलती है.

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लक्ष्मी का कहना है कु कुलीगिरी करना उनकी मजबूरी है. क्योंकि वह अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहती हैं. सबकी तरह उसने भी अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में भेजने और बड़ा आदमी बनाने का सपना देखा हुआ है. वह यह अरमान पूरा करना चाहती हैं. लेकिन बिना किसी सरकारी मदद के यह मुमकिन नहीं है.

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लक्ष्मी का बेटा चौथी क्लास में पढ़ता है. बेटे का कहना है कि वह बड़ा होकर न्यायपालिका में जाना चाहता है. उसका कहना है कि न तो वह कुलीगिरी का काम करेगा और न ही वह अपनी मां को करने देगा. लक्ष्मी के साथियों का कहना है कि औरत होने के नाते लोग उससे सामान नहीं उठवाना चाहते. साथियों की मदद से लक्ष्मी हर रोज 100 से 200 रुपये कमा लेती है.