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लंबे इंतजार के बाद माही बांध के 4 गेट आधा मीटर तक खुला, की पूजा-अर्चना

पूजा-अर्चना कर माही विभाग के कंट्रोल रूम में जाकर विधिविधान के साथ जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता ने बटन दबाकर गेट खोले

Updated on: 14 Aug 2019, 06:35 PM

नई दिल्ली:

उदयपुर संभाग का सबसे बड़ा बांध बांसवाड़ा जिले के भुगड़ा थाना क्षेत्र में बना माही बांध के गेट आखिरकार बड़े इंतजार के बाद आज बुधवार को खुल गए. बांसवाड़ा में चार दिन बाद एक बार फिर मॉनूसन ने करवट बदली. बुधवार तड़के जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में हल्की बारिश हुई. वही माही बांध में भी जल की आवक बनी हुई है बांध को बने 37 साल हो चुके हैं. माही डेम का टॉप लेवल 284.50 मीटर है, लेकिन पिछले कई दशकों से चली आ रही परम्परा के अनुसार माही बांध की कुल भराव क्षमता 281.50 मीटर पर डैम के गेट खोल दिये जाते है. बांध के कुल भराव क्षमता के मुकाबले जलस्तर 281.30 मीटर हो गया है.

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बुधवार दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर कलेक्टर, एसपी द्वारा विधिवत पूजा अर्चना कर पहले दो एवं कुछ देर बाद अन्य दो गेट कुल चार गेट आधा मीटर तक खोले गए. बीती रात से बांसवाड़ा में एक बार रुकी बारिश पुनः शुरू हो गई. वहीं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में भारी बारिश के चलते बुधवार सुबह से माही की सहायक नदी ऐराव में पानी की आवक तेज थी. तभी से माही गेट खुलने के संकेत मिल रहे थे. माही के भराव क्षमता का संदेश जैसे ही माही विभाग ने बांसवाड़ा जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता को दी तो कलेक्टर और एसपी केसर सिंह सीधे माही डेम पर पहुंचे एवं हालात का जायजा लिया.

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बाद में डैम पर बने माही माता के मंदिर पर कलेक्टर, एसपी ने पूजा-अर्चना कर माही विभाग के कंट्रोल रूम में जाकर विधिविधान के साथ जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता ने बटन दबाकर गेट खोले. इधर बीते 24 घंटों में सुबह आठ बजे तक बांसवाड़ा में 9, केसरपुरा में 5, दानपुर में 3, जगपुरा में 3, घाटोल में 7, भूंगड़ा में 7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. ज्ञात रहे बांध के गेट खोलने की संभावना को लेकर माही परियोजना की ओर से शुक्रवार शाम को ही अलर्ट जारी कर माही नदी के प्रवाह क्षेत्र और आसपास के इलाकों में ऐहतियात बरतने को कह दिया था. जिसे लेकर बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों से प्रशासन और संबंधित विभाग सक्रिय हो चुके थे. डेम से उफनता हुआ पानी देखने के लिए आमजन की भीड़ जमा हो गई. गौरतलब है कि आज से 3 साल पहले माही डैम बांध के 16 गेट खोलकर पानी की निकासी की गई थी