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बाबूलाल मरांडी की 'घर वापसी' में इस तरह सफल हुए अमित शाह!

यह अमित शाह की छह साल की कोशिशों का नतीजा था जो संघ पृष्ठिभूमि के और आदिवासियों में गहरी पैठ रखने वाले बाबूलाल मरांडी की 14 साल बाद घर वापसी हुई.

Updated on: 19 Feb 2020, 11:27 AM

रांची:

बात 2014 की है, जब झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Bubulal Marandi) मोदी लहर में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हारकर बैठ चुके थे. उसी वक्त राज्यसभा के चुनाव होने वाले थे. भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने बाबूलाल मरांडी की लोकेशन पता की. पता चला कि वह कोलकाता में मौजूद हैं. तब अमित शाह ने वहां एक दूत के जरिए उन्हें पार्टी में शामिल होने का ऑफर भेजा. बाबूलाल मरांडी के लिए राज्यसभा जाने के दरवाजे खुले थे, मगर उन्होंने भाजपा (BJP) में वापसी का ऑफर ठुकरा दिया. कभी अमित शाह का ऑफर ठुकराने वाले बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को उनकी ही मौजूदगी में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया. यह अमित शाह की छह साल की कोशिशों का नतीजा था जो संघ पृष्ठिभूमि के और आदिवासियों में गहरी पैठ रखने वाले बाबूलाल मरांडी की 14 साल बाद 'घर वापसी' हुई.

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बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के भाजपा में विलय के लिए यहां जगन्नाथ मैदान में सोमवार को बड़ा समारोह हुआ. इसे मिलन समारोह नाम दिया गया था. झाविमो और भाजपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ मरांडी की घर वापसी की गवाह बनी. मरांडी ने अमित शाह के गले मिलकर पार्टी के विलय की घोषणा की. गृहमंत्री शाह ने बाबूलाल मरांडी के आने से पार्टी की ताकत कई गुना बढ़ने की बात कही. उन्होंने कहा, 'आज मेरे लिए बड़े हर्ष का विषय है, क्योंकि मैं जब 2014 में पार्टी का अध्यक्ष बना, तभी से प्रयास कर रहा था कि बाबूलाल जी भाजपा में आ जाएं.'

साल 2000 में राज्य गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने मरांडी को 2003 में ही आंतरिक कलह के कारण पद छोड़ना पड़ा था. आंतरिक असंतोष इस कदर बढ़ा कि 2006 में भाजपा से अलग होकर उन्होंने नई पार्टी बना ली. मरांडी की घर वापसी कराने में भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने सूत्रधार की भूमिका निभाई. खुद इस बात की पुष्टि बाबूलाल मरांडी ने सभा के दौरान कही. दरअसल, झारखंड में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद अमित शाह को बाबूलाल मरांडी की आगे के लिए जरूरत महसूस हुई. अमित शाह के कहने पर अनुभवी ओम माथुर ने एक बार फिर मरांडी से बातचीत शुरू की. आखिरकार मरांडी को भी लगा कि राज्य में उभरे नए सियासी समीकरण के बीच वह भाजपा में जाकर अपने राजनीतिक सफर को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं.

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मरांडी ने मिलन समारोह में अपनी घर वापसी को लेकर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहेंगे कि राज्य विधानसभा चुनाव में हार के कारण भाजपा उन्हें पार्टी में ले रही है. मगर भाजपा में वापसी अचानक में लिया गया फैसला नहीं है. बल्कि इसके लिए भाजपा नेता पिछले कई साल से लगे हुए थे. 2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की उन्हें पार्टी में लाने की कोशिशें जारी थीं. मरांडी ने कहा कि वह जिद्दी स्वभाव के कारण एक बार पार्टी से निकल जाने के बाद दोबारा वापसी के लिए तैयार नहीं थे. हालांकि बाद में कार्यकर्ताओं की इच्छाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने भाजपा में वापसी का फैसला किया.