पत्थलगड़ी में 7 ग्रामीणों की मौत के मामले ने पकड़ा तूल, होगी जांच
जिस सभा ने पत्थलगढ़ी समर्थकों को मौत की सजा सुनाई गई. इन 9 लोगों में से 2 भाग गए जबकि 7 लोगों को पत्थलगड़ी समर्थक घसीटते हुए जंगल में ले गए.
highlights
- पत्थलगड़ी में 7 ग्रामीणों के कटेे मिले सिर.
- गांव से 7 किलोमीटर दूर जंगल में मिला शव.
- केंद्र सरकार इस मुद्दे पर हुई गंभीर.
सिंहभूम:
पत्थलगड़ी का विरोध करने पर पश्चिमी सिंहभूम जिले के बुरुगुलीकेरा गांव से अगवा किए गए उप मुखिया समेत सात ग्रामीणों की हत्या कर दी गई. इन सभी का शव गांव से सात किलोमीटर दूर जंगल में पाया गया. सूत्रों के मुताबिक सभी ग्रामीणों के सिर कटे हुए थे और शरीर पर चोटों के कई निशान भी थे. बताया जा रहा है कि ये घटना मंगलवार को घटी. चक्रधरपुर सदर अस्पताल में इन सभी का पोस्टमार्टम किया गया. आज यानी गुरूवार को ये सारे शव बुरुगुलीकेरा भेजे जाएंगे. दरअस पत्थलगड़ी समर्थकों का आरोप है कि गुरूवार को ग्रामीणों से आधार कार्ड और वोटर कार्ड मांगे जाने पर 9 लोगों ने इसका विरोध किया जिसके बाद सभी को बुलाकर एक सभा का आयोजन किया गया .
जिस सभा ने पत्थलगढ़ी समर्थकों को मौत की सजा सुनाई गई. इन 9 लोगों में से 2 भाग गए जबकि 7 लोगों को पत्थलगड़ी समर्थक घसीटते हुए जंगल में ले गए. आपको बता दें कि पत्थलगड़ी के तहत सरकारी संस्थानों और सुविधाओं के बहिष्कार करने और स्थानीय शासन की मांग की जाती है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिम सिंहभूम में सात आदिवासियों की हत्या की जांच को छह सदस्यीय कमेटी बनाई है, इसमें सांसद जसवंत सिंह भाभोर, राज्यसभा सदस्य समीर उरांव, सांसद भारती पवार, गोमती साय, जोन बार्ला और झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा शामिल हैं। नड्डा ने जघन्य हत्याकांड पर गहरा दुख जताया है, साथ ही कमेटी से रिपोर्ट तलब की है.
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क्या है पत्थलगड़ी
संविधान की पांचवीं अनुसूची में मिले अधिकारों के सिलसिले में झारखंड के खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुछ इलाकों में पत्थलगड़ी कर (शिलालेख) इन क्षेत्रों की पारंपरिक ग्राम सभाओं के सर्वशक्तिशाली होने का ऐलान किया गया था। कहा गया कि इन इलाकों में ग्राम सभाओं की इजाजत के बगैर किसी बाहरी शख्स का प्रवेश प्रतिबंधित है। इन इलाकों में खनन और दूसरे निर्माण कार्यों के लिए ग्राम सभाओं की इजाजत जरूरी थी। इसी को लेकर कई गांवों में पत्थलगड़ी महोत्सव आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम में हजारों आदिवासी शामिल हुए.
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