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उत्तर प्रदेश के बाद अब झारखंड में गठबंधन पर मंडराने लगे संकट के बादल

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों ने कहा कि हमारे साथ गठबंधन से कांग्रेस को लाभ हुआ है, लेकिन कांग्रेस का वोट हमारी पार्टी को नहीं मिला

Updated on: 05 Jun 2019, 06:35 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के बाद अब झारखंड में भी गठबंधन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. झारखंड में महागठबंधन में दरार पड़ना तय माना जा रहा है. दरअसल झारखंड में महागठबंधन का नेतृत्व कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) चुनाव लड़ना चाहती है और इसके लिए उन्होंने अभी से अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए बकायदा jmm के कार्यकारी अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महागठबंधन के नेतृत्व करने का दावा ठोक दिया है, जबकि कांग्रेस ने भी कहां है उनकी पार्टी सभी 81 सीटों पर तैयारी कर रही है.

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कांग्रेस के साथ गठबंधन को बताया नुकसान

लोकसभा चुनाव में मिली हार और कांग्रेस के साथ गठबंधन के नफा-नुकसान पर शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय कार्यकारिणी की समीक्षा बैठक हुई. इस बैठक में जेएमएम के विधायकों ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के कई नुकसान बताए हैं. सूत्रों के मुताबिक जेएमएम के बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाने से फायदा नहीं होने वाला. ऐसे में अकेले जाने का विकल्प ज्यादा अच्छा है. इसके साथ ही जेएमएम विधायकों ने कहा कि हमारे साथ गठबंधन से कांग्रेस को लाभ हुआ है, लेकिन उनका वोट हमारी पार्टी को नहीं मिला.

वाममोर्चा अपने अलग सुर में है

उधर कांग्रेस ने भी साफ कह दिया है कि उनकी तैयारी पूरी 81 सीटों पर है कार्यकर्ता को अभी से सभी बूथों पर अपनी पकड़ बनाने को कहा गया है हालांकि वह भी चाहते हैं कि चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा जाए उधर सीपीआई यानी वाममोर्चा अपने अलग सुर में है उनका भी कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी के अंदरुनी दोस्ती ने पार्टी को हराया है, वैसे वह भी चाहते हैं कि जेएमएम आगे बढ़कर गठबंधन की बात करती है तो इस पर विचार किया जाएगा. 

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जेएमएम के सुर से झारखंड में सभी पार्टियां सकते में

फिलहाल जेएमएम के सुर से झारखंड में सभी पार्टियां सकते में हैं क्योंकि अभी से खुद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में खड़ा करके जेएमएम ने सभी पार्टियों को अपनी ताकत का अभी से एहसास करा दिया है. ऐसे में बिना कोई बैठक कोई विचार किये बिना महागठबंधन पर अपनी बात थोप देने पर अंदरूनी कलह तो जरूर उभर गया है.