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झारखंड : भाजपा की ओर बढ़े झाविमो के कदम, जल्द विलय की संभावना

बाबूलाल मरांडी ने जिस तरह से अपनी पार्टी के लिए बनाई कार्यसमिति में पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु टिर्की को हाशिए पर डाला है, उससे इस बात को बल मिला है कि जल्द ही बाबूलाल मरांडी भाजपा के साथ जा सकते हैं.

Updated on: 18 Jan 2020, 05:08 PM

रांची:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के विलय को लेकर अब तक सियासी धुंध बरकरार है, परंतु यह साफ हो चुका है कि झाविमो का हर कदम अब भाजपा में विलय की ओर बढ़ रहा है. बाबूलाल मरांडी ने जिस तरह से अपनी पार्टी के लिए बनाई कार्यसमिति में पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु टिर्की को हाशिए पर डाला है, उससे इस बात को बल मिला है कि जल्द ही बाबूलाल मरांडी भाजपा के साथ जा सकते हैं.

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झाविमो की ओर से शुक्रवार को नई कार्यकारिणी की घोषणा की गई, जिसमें मरांडी के बाद पार्टी के सबसे कद्दावर नेता और पार्टी के प्रधान महासचिव रह चुके विधायक प्रदीप यादव और महासचिव रहे विधायक बंधु टिर्की को कोई पद नहीं दिया गया है. वहीं पार्टी उपाध्यक्ष रहे पूर्व विधायक डॉ. सबा अहमद को भी केंद्रीय समिति से बाहर रखा गया है. मरांडी के विश्वास पात्र अभय सिंह को प्रधान महासचिव बनाया गया है.

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सूत्रों का कहना है कि प्रदीप यादव और बंधु टिर्की झाविमो के भाजपा में विलय के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं. इसके अलावा समिति में रखे गए सभी लोग मरांडी के निर्णय के साथ हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि मरांडी ने भाजपा में विलय को लेकर रास्ता साफ कर लिया है. नई समिति में मरांडी केंद्रीय अध्यक्ष की पुरानी जिम्मेदारी में हैं, जबकि समिति में 10 उपाध्यक्ष, एक प्रधान महासचिव, छह महासचिव, नौ सचिव और एक कोषाध्यक्ष बनाए गए हैं.

बंधु टिर्की हालांकि समिति में नहीं शामिल किए जाने को 'हाशिए' पर धकेला जाना नहीं मानते. उन्होंने कहा कि मरांडी ने जो फैसला किया है, उस पर उन्हें कुछ नहीं कहना. टिर्की ने हालांकि यह जरूर कहा कि प्रदीप यादव विधायक दल के नेता हैं और अगर भाजपा में पार्टी का विलय होता है तो वे भी अलग कुछ निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि वह जल्द ही प्रदीप यादव से मिलेंगे और एक-दो दिन में कोई निर्णय लेंगे.

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नवनियुक्त प्रधान महासचिव अभय सिंह ने खुलकर तो कोई बात नहीं रखी, परंतु इशारों ही इशारों में इतना जरूर कहा कि आनेवाले समय में कार्यकारिणी अगर कोई बड़ा निर्णय लेती है, तब दोनों विधायक उस फैसले को प्रभावित नहीं कर सकेंगे. उल्लेखनीय है कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में झाविमो तीन सीटों पर विजयी हुई है.

सूत्रों का कहना है कि कार्यकारिणी में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो मरांडी के निर्णयों के साथ होंगे. ऐसे में मरांडी के पास बहुमत होगा, जिससे वह किसी भी प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित करवा सकेंगे. बहरहाल, बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में विलय को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन झारखंड की सियासत में उनका भाजपा के साथ जाने की अटकलें तेज हैं. इस बीच, भाजपा के भी किसी नेता ने अब तक खुलकर मरांडी के भाजपा में आने को नकारा नहीं है. ऐसी स्थिति में इस नए समीकरण को और हवा मिल रही है.