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झारखंड चुनाव में कसौटी पर होगी जद (यू)-बीजेपी दोस्ती!

जद (यू) अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर यह संकेत दे चुका है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के रण में वह भाजपा के साथ नहीं, बल्कि सामने होगा. ऐसा नहीं कि बिहार में भाजपा और जद (यू) की दोस्ती सहज है.

Updated on: 23 Oct 2019, 01:59 PM

Ranchi:

जनता दल (युनाइटेड) बिहार में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद से सरकार चला रहा हो, मगर दोनों दलों की दोस्ती झारखंड में इसी साल होने वाले चुनाव में कसौटी पर होगी. जद (यू) अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर यह संकेत दे चुका है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के रण में वह भाजपा के साथ नहीं, बल्कि सामने होगा. ऐसा नहीं कि बिहार में भाजपा और जद (यू) की दोस्ती सहज है. यहां भी कई मुद्दों पर भाजपा और जद (यू) के नेता आमने-सामने आते रहे हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव में हालांकि जद (यू) के नेता जिस तरह से भाजपा सरकार को लेकर आक्रामक हैं, उससे यह तय है कि इस दोस्ती की डगर आसान नहीं है.

झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे जद (यू) के नेता कभी भाजपा की रघुवर सरकार को भ्रष्ट कह रहे हैं, तो कभी शराबबंदी को लेकर भाजपा सरकार की घेराबंदी कर रहे हैं. वैसे, सबसे दिलचस्प बात है कि भाजपा अब तक जद (यू) के खिलाफ आक्रामक नहीं हुई है. परंतु जद (यू) के तेवर भाजपा के नेताओं को कितने दिन ऐसे रोक पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

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भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने मीडिया से कहा कि जद (यू) झारखंड में भाजपा से अलग हैं. वह क्या बोल रही है और क्या कर रही है, यह उसका मामला है. उन्होंने कहा कि बिहार में जद (यू) भले ही भाजपा के साथ है, इसका मतलब यह नहीं कि उसके साथ हर राज्य में गठबंधन हो. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अभी चुनाव में देर है, जो भी दल भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहेंगे, वह भाजपा नेतृत्व तय करेगा.

इधर, जद (यू) के नेता झारखंड में अपनी पहचान बनाने को लेकर बेताब हैं. झारखंड में कई स्थानों पर कार्यकर्ता सम्मेलन कर कार्यकर्ताओं में जोशभर चुकी जद (यू) के महासचिव आर.सी.पी. सिंह कहते हैं कि झारखंड में सबसे अधिक दिन तक भाजपा की सरकार रही है. झारखंड में बिजली, पानी, सड़क, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं चौपट हैं. यहां की जनता विकल्प की तलाश में है और हम उनके लिए विकल्प के रूप में यहां आए हैं.

जद (यू) को झारखंड में नई धार देने को लेकर भाजपा पर आक्रामक जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आईएएनएस से तल्ख अंदाज में कहा कि जद (यू) भाजपा पर निर्भर नहीं है. उन्होंने नीतीश कुमार और रघुवर दास की तुलना करते हुए कहा कि नीतीश जहां बिहार में शराबबंदी कर लोगों को शराबमुक्त बनाने पर जोर दे रहे हैं, वहीं झारखंड की सरकार जगह-जगह शराब की दुकान खुलवाने पर आमादा है.

उन्होंने कहा कि झारखंड में विकास के नाम पर लूट मची हुई है, भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है. वैसे, जद (यू) के सूत्रों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में उसे भले ही एक भी सीट न मिले, लेकिन भविष्य के चुनावों की राह यहां से खुल जाएगी.

सूत्रों का दावा है कि जद (यू) झारखंड चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा, वामपंथी दलों और भाजपा-विरोधी छोटे दलों से समझौता कर सकती है. भाजपा के नेता जद (यू) के ऐसे बयानों से असहज जरूर हैं. भाजपा के एक नेता का कहना है, "अभी चुनाव में देर है. वक्त का इंतजार कीजिए, जद (यू) की कितनी क्षमता है, सामने आ जाएगी."

राजनीति के जानकार भी स्पष्ट कहते हैं कि जद (यू) की झारखंड में ऐसी हैसियत नहीं कि उनके बयानों को भाजपा तरजीह दे. झारखंड की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले और झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार विजय पाठक ने कहा कि जद (यू) झारखंड में नीतीश कुमार के नाम पर अपनी जमीन तैयार कर रहा है. झारखंड में जद (यू) की स्थिति ऐसी नहीं है कि भाजपा को नुकसान पहुंचा सके, इस कारण भाजपा के नेता जद (यू) के नेता के बयानों को भी तरजीह नहीं दे रहे. हालांकि पाठक भी मानते हैं कि दोनों दलों की बिहार में 'दोस्ती' है, लेकिन झारखंड में नहीं है. ऐसे में आगे क्या होगा, यह आने वाला समय बताएगा.