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प्राचीन धरोहर को संरक्षित करने में लगे NGO पर उठे सवाल, होगी जांच

ग्रामीण मंदिरों के जीर्णोद्धार पर किये जा रहे कार्यों को लगातार विरोध कर ऐसे एनजीओ (NGO) को हटाने की मांग कर रहे हैं, वहीं जिले के उपायुक्त ने इस मामले को राज्यसरकार को अवगत कराकर किसी एक्सपर्ट से जांच कराने का भरोसा जताया है.

Updated on: 15 Jul 2019, 11:44 AM

Ranchi/Dumka:

अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त मंदिरों का गांव देव भूमि मलूटी गांव के पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने झारखंड सरकार के माध्यम से जो बीड़ा उठाया था अब उसकी मौलिकता और गुणवक्ता के सवाल को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं. ग्रामीण मंदिरों के जीर्णोद्धार पर किये जा रहे कार्यों को लगातार विरोध कर ऐसे एनजीओ (NGO) को हटाने की मांग कर रहे हैं, वहीं जिले के उपायुक्त ने इस मामले को राज्यसरकार को अवगत कराकर किसी एक्सपर्ट से जांच कराने का भरोसा जताया है.

दुमका जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मंदिरों का गांव देव भूमि मलूटी मंदिर के संरक्षण को लेकर काफी चर्चे में हैं. करीब 13 करोड़ की लागत से मंदिरों के संरक्षण में गड़बड़ी को लेकर ग्रामीणों में खासी नराजगी देखी जा रही है.

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ग्रामीणो ने पहले पर्यटक सचिव को मंदिर जीर्णोद्धार कार्य कर रहे एनजीओ से बचाने की मांग की. ग्रामीणों ने कहा कि मंदिरों के मौलिकता के साथ एनजीओ खिलवाड़ कर रहा है. गौरतलब है कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका मंदिरों का गांव देव भूमि मलूटी का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि करीब 400 साल पुराना है. ननकर राजा बाज बसंत द्वारा निर्मित 108 मंदिर और 108 तालाब में शेष 64 मंदिर और कुछ ही तालाब उचित देख रेख के आभाव में शेष रह गये हैं. लेकिन 26 जनवरी 2015 को दिल्ली में मलूटी की झांकी परेड में शामिल होने के बाद मलूटी चर्चा में आया और भारत सरकार ने ध्वस्त हो रहे मंदिरों के सरक्षण का बीड़ा उठाया. भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2015 को दुमका आकर इस सौगात को दिया और मलूटी के मंदिरों के संरक्षण के लिए करीब 13 करोड़ रूपये आई टी आर एच डी (ITRHD) नामक एन जी ओ को दिया गया है.

मलूटी के मंदिरों के संरक्षण का काम भी शुरू कर दिया गया था लेकिन मलूटी में बिना अनुभव प्राप्त कारीगरों से सैकड़ों सालों का पुराना अमूल्य धरोहर को जिस तरीके से नष्ट कर मंदिरों को नए रूप से मूर्त रूप दिया जा रहा था इससे लग रहा था कि मलूटी के मंदिरों कि कलाकृती नष्ट हो जायेगी, टेराकोटा आर्ट के इस मंदिरों पर हथौड़े कि मार से इसका स्वरूप बदला जा रहा था. मंदिरों के निर्माण के दौरान चुना सुरखी के जगह सीमेंट का भी उपयोग किये जाने से अब एनजीओ सवाल के घेरे में खड़ा है.

लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी जांच में आते है लेकिन फिर चुप हो जाते है इस मामले को खुद सीएम रघुवर दास देख चुके है. लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति होकर रह जाती है. यहां मंदिर के नाम पर रुपये की सिर्फ लूट हो रही है.

इधर जिले के उपायुक्त इस पूरे मामले पर नजर बनाये हुये हैं. उनका कहना है कि इस मामले को राज्यसरकार के संज्ञान में देकर किसी एक्सपर्ट से जांच करायी जाएगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तीन दिन पहले पर्यटन सचिव मलूटी आकर पूरे मामले से अवगत हुए उन्होंने मामले की गंभीरता से देखते हुए हर माह मलूटी में समीक्षा बैठक कर मंदिर जीर्णोद्धार कार्य की जानकारी लेने की बात कही.