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जानें क्‍या होता है एवलांच, जो जम्‍मू-कश्‍मीर में आफत बनकर टूट रहा भारतीय जवानों पर

मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में सोनमर्ग के गग्गेनेर क्षेत्र के पास कुलान गांव में हिमस्खलन की चपेट में आने से 5 अन्‍य लोगों की मौत हो गई और कई घर क्षतिग्रस्त हो गए.

Updated on: 14 Jan 2020, 05:40 PM

नई दिल्‍ली:

जम्मू-कश्मीर में लगातार बर्फीली तूफान में 3 जवान शहीद हो गए, जबकि एक जवान लापता बताया जा रहा है. उधर, मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में सोनमर्ग के गग्गेनेर क्षेत्र के पास कुलान गांव में हिमस्खलन की चपेट में आने से 5 अन्‍य लोगों की मौत हो गई और कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. सेना ने इस इलाके में बचाव अभियान शुरू कर दिया है. पूरा इलाका श्रीनगर से सड़क मार्ग से कट चुका है.

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क्या होता है एवलांच

  • जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा बर्फ जम जाती है. बर्फ परत दर परत जम जाती है और बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने की वजह से ये परतें खिसक जाती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं. तो इसी को एवलांच कहतें हैं, इनके रास्ते में जो कुछ भी आता है उसे अपने साथ ले जाती हैं.
  • हर साल सैकड़ों लोगों की जान लेने वाले ये बर्फीले तूफान प्राकृतिक तौर पर भी आते हैं और इंसानी गतिविधि भी इसकी वजह बन सकती है. ऐसा जलवायु परिवर्तन, भारी हिमपात या फिर ऊंचे शोर की वजह से होता है.
  • हिमालय की गोद में बसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड समेत उत्तर पूर्व के इलाकों में भी वक्त-वक्त पर इस बर्फीली आताताई का सामना करना पड़ता है. इस दानव से बचा तो नहीं जा सकता मगर नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है.
  • स्कीईंग रिज़ोर्ट जैसी जगहों पर छोटे विस्फोट करके एवलांच यानि हिमस्खलन को बड़ा होने से रोका जाता है, इसमें बर्फ को एक तरफ खिसकने से रोका जाता है. हिमस्खलन के नुकसान को कम करने के लिए बाड़ भी लगाए जाते हैं, ताकि तेजी से नीचे खिसकती बर्फ की रफ्तार को धीमा किया जा सके. पेड़ भी हिमस्खलन को कम करते हैं.
  • हिमस्खलन से बचने के लिए कुछ एहतियात जरूरी होती हैं. उन ढलानों से बचकर चलें जहां बर्फ खिसकने का खतरा होता है, बर्फ के वैसे पत्थर जो ज्यादा मजबूत ना हों, जो कटे हुए हों उनसे बचें, हमेशा पूरी तैयारी के साथ ऐसे इलाकों में चलें जहां ऐवलांच का खतरा होता है. अपने साथ हर वक्त हथौड़ानुमा कुदाल, रस्सी, और सुरक्षा के सारे सामान जरूर रखें.

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1984 से 2019 तक 1000 से अधिक जवान शहीद

सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 1000 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं. 2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे.

एवलॉन्च से हादसे

  • जनवरी 2016 में जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में आये एवलॉन्च से सेना के 4 जवान शहीद हो गए थे, सभी जवान लद्दाख स्काउट के थे.
  • फ़रवरी 2016 में आये एवलॉन्च से मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा सेना के 10 जवान शहीद हो गए थे.
  • 14 नवंबर 2015 को लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में बर्फीले तूफान से आर्मी के एक कैप्टन की मौत हो गई थी. रेस्क्यू टीम ने 15 सैनिकों को सुरक्षित निकाल लिया था.
  • नेपाल में आए भूकंप के चलते एवरेस्ट से आए एवलॉन्च में आठ लोगों की मौत हो गई थी. माउंटेनियरिंग के लिए गए ये सभी लोग हादसे के वक्त बेस कैंप में थे.