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जमात-ए-इस्लामी (J&K) पर प्रतिबंध से ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर का भी विरोध, कहा- कठिन समय में किए कई काम

14 फरवरी को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने यहां के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी (J&K) पर पाबंदी लगा दी है. जिसके बाद कश्मीर में तनाव का माहौल बन गया है.

Updated on: 03 Mar 2019, 12:35 PM

नई दिल्ली:

14 फरवरी को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने यहां के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी (J&K) पर पाबंदी लगा दी है. जिसके बाद कश्मीर में तनाव का माहौल बन गया है, जगह-जगह लोग इस फैसले कि खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे है. जिसके बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते छापेमारी के दौरान जमात-ए-इस्लामी के 150 से अधिक कार्यकर्ताओं को अपनी गिरफ्त में लिया था.

वहीं ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर के सदस्य बशीर अहमद ने कहा, 'जमात-ए-इस्लामी (जम्मू एंड कश्मीर) पर प्रतिबंध लगाना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है, यह एक धार्मिक संगठन है जिसने कश्मीर के लिए कठिन परिस्थितियों में भी काम किया है. उन्होंन उन क्षेत्रों में 400 स्कूल बनवाए हैं, जहां सरकार स्कूलों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है. साथ ही इस उन्होंने मस्जिदों का भी निर्माण करवाया.'

गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत को प्रतिबंधित कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंध को लेकर अधिसूचना जारी की गई.

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जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन लगाने के बाद सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है और उनके नेताओं के कई घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है.