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कश्मीरी पंडित ने अमेरिका के आयोग से लगाई गुहार, कहा- पाक की नीति से अब तक 42000 नागरिकों की मौत

कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने अमेरिका के एक आयोग से कहा है कि मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता को खतरा, आतंकवाद और कट्टरपंथ से ज्यादा बड़ा खतरा नहीं है.

Updated on: 17 Nov 2019, 09:20 AM

नई दिल्ली:

कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने अमेरिका के एक आयोग से कहा है कि मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता को खतरा, आतंकवाद और कट्टरपंथ से ज्यादा बड़ा खतरा नहीं है. संगठन ने बताया कि पाकिस्तान की आतंकी नीति के वजह से जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों में 42 हजार नागरिकों की मौत हो चुकी है. संगठन ने आयोग से ये भी कहा कि राजनीतिक रूप से प्ररित गवाहों से वो प्रभावित नहीं हो.

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कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन (केओए) ने टॉम लैंटोस मानवाधिकार आयोग के समक्ष दर्ज बयान में कश्मीर पंडितों से मुलाकात नहीं करने पर आयोग से नाखुशी जताई. केओए ने कहा कि कश्मीरी पंडित पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से चुपचाप मानवाधिकार उत्पीड़न को सह रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रभुता वाले आयोग ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर सुनवाई की.

केओए के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में यह स्थिति सीमा पार आतंकवाद के कारण है. यह सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान ने दक्षिण एशिया में अपने देश की नीति के तहत आतंकवादियों के समूह को उत्पन्न किया, उन्हें प्रशिक्षित किया और हथियारबंद किया. इसकी वजह से बीते तीन दशकों में जम्मू-कश्मीर में 42 हजार नागरिकों की मौत हुई.

केओए अध्यक्ष शकुन मुंशी और सचिव अमृता कौर ने आयोग से कहा कि संभावित विशेषज्ञ गवाह, इस क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों और लोगों से ज्यादा विस्तृत जवाब मिलता और इससे आयोग की सुनवाई और अच्छे तरीके से होती.

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उन्होंने आयोग के सह सदस्यों जेम्स मैकगवर्न और क्रिस्टोफर स्मिथ से आग्रह किया कि इस प्लेटफॉर्म को राजनीतिक रूप से प्रेरित गवाहों की जकड़ में नहीं होना चाहिए. 

केओए ने बताया कि पाकिस्तान में अलकायदा, आईएस और संबद्ध आतंकी समूहों के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध लगभग 130 आतंकवादी और 25 आतंकी समूह अभी भी पाकिस्तान में स्थित हैं.

संगठन ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि 9/11 हमले में तीन हजार अमेरिकियों की जान लेने वाला ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के सेना मुख्यालय के पास ही रहता था.

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केओए ने ये भी बताया कि पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर और भारत में कई आतंकवादी हमले किए हैं जिसमें 2008 में मुंबई हमला भी शामिल है. इस हमले में मारे गए लोगों में निर्दोष अमेरिकी नागरिक भी थे.

केओए ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया। संगठन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद के तीन दशकों में न केवल सामान्य जीवन बाधित हुआ है बल्कि इसने अपने युवाओं और महिलाओं को आर्थिक अवसरों से वंचित किया है.