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अगर ब्लैक आउट से किसी की जान बच रही है तो वो अच्छा है, जम्मू-कश्मीर पर गर्वनर सत्यपाल मलिका बेबाक बयान

राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी तरह की जरूरी चीजों की कमी नहीं है. हमने ईद के मौके पर लोगों को मीट, सब्जियां, अंडे भी पहुंचाए. इस पूरे मामले पर आपकी राय 10-15 दिनों में बदल जाएगी

Updated on: 25 Aug 2019, 02:49 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब धीरे-धीरे घाटी में हालात सामान्य होने लगे हैं. सरकारी दफ्तरों में काम शुरू हो गया है. वहीं स्कूल-कॉलेज भी दोबारा खुल गए हैं. हालांकि सामान्य हो रहे इन हालातों के बीच बताया जा रहा था कि श्रीनगर में दवाओं की आपूर्ती पूरी नहीं हो पा रही जिससे लोगों को काफी परेशनाी हो रही है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से अब इन रिपोर्ट्स का खंडन किया गया है. प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि श्रीनगर में 1666 में से 1665 दवाइयों की दुकानें खुली हुई हैं. पूरे कश्मीर में 7630 केमिस्ट की दुकानें हैं जिनमें 4331 थोक की हैं. इनमें 65 फीसदी दुकानें खुली हुई हैं.

प्रशासन की तरफ से ये भी बताया गया है कि सभी 376 दवा सरकारी और प्राइवेट दुकानों पर उपलब्ध है. इसके अलावा सबसे जरूरी 62 दवाएं भी दुकानों पर उपलब्ध हैं. बताया ये भी जा रहा है कि पिछले 20 दिनों में दुकानों पर 23 करोड़ रुपए की दवा भेजी जा चुकी है. प्रशासन ने हालांकि स्वीकार किया कि कश्मीर घाटी में दो दिन से बेबी फूड की कमी थी लेकिन उसका समाधान हो गया है और ताजा स्टॉक पहुंच गया है. प्रशासन ने एक बयान में कहा, 'अब लगभग तीन सप्ताह के लिए पर्याप्त बेबी फूट स्टॉक में है.' प्रशासन ने कहा कि दवाइयों के ज्यादातर वितरक जम्मू में हैं और ऑर्डर मिलने के बाद दवाइयों की आपूर्ति करने में लगभग 14-18 घंटे लगते हैं.प्रशासन के अनुसार, दवाइयां और बेबी फूड जल्दी से जल्दी निकालने के लिए जम्मू और चंडीगढ़ पर तीन-तीन व्यक्तियों को तैनात किया गया है. उप जिला अधिकारी स्तर का एक अधिकारी घाटी में आपूर्ति कर रहा है.

वहीं इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में किसी भी तरह की जरूरी चीजों की कमी नहीं है. हमने ईद के मौके पर लोगों को मीट, सब्जियां, अंडे भी पहुंचाए. इस पूरे मामले पर आपकी राय 10-15 दिनों में बदल जाएगी.

उन्होंने कहा, पिछले समय कश्मीर में जो हुआ अगर वैसी स्थिति आज होती तो 50 लोग रोज मरते. हमारा सबसे बड़ा मकसद यही है के घाटी में एक भी जान न जाए. उन्होंने कहा, 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हमारा वादा है कि हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे. दरअसल इस पूरे मसले पर सत्यपाल मिलक का यही कहना है घाटी में जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वो इसलिए हैं ताकि घाटि में हिंसा न फैले और अगर इन प्रतिबंधों से लोग सुरक्षित हैं तो कुछ दिनों के लिए ये प्रतिबंध ठीक हैं.