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हुर्रियत के नेता मीरवाइज ने रिहाई के लिए सरकार के बांड पर किया साइन, इन बड़े नेताओं ने किया इंकार

मीरवाइज, उमर, फारूक के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के दो नेताओं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस के एक- एक नेता और दो अन्य ने बांड पर सिंग्नेचर कर दिए हैं.

Updated on: 21 Sep 2019, 09:02 AM

highlights

  • हुर्रियत के नेता मीरवाइज ने सरकारी बांड पर किया साइन. 
  • अब मीरवाइज जम्मू कश्मीर की किसी भी पॉलिटिकल एक्टिविटी में भाग नहीं ले पाएंगे.
  • जम्मू कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखा गया है.

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आर्टिकल 370 और 35-ए (Article 370 and 35-A scrapped) को खत्म किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए बड़े नेताओं में से हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक (Hurriyat leader Mirwaiz) ने अपनी रिहाई के लिए बांड पर साइन कर दिया. ये बांड जम्मू कश्मीर की सरकार (Jammu Kashmir Government) के द्वारा बनाया गया था जिसके मुताबिक, अब मीरवाइज जम्मू कश्मीर की किसी भी पॉलिटिकल एक्टिविटी में भाग नहीं ले पाएंगे.

शुक्रवार को ही आधिकारिक सूत्रों की तरफ से ये जानकारी कंफर्म किया जा चुका है. सूत्रों ने बताया कि मीरवाइज, उमर, फारूक के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के दो नेताओं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस के एक- एक नेता और दो अन्य ने बांड पर सिंग्नेचर कर दिए हैं. वे हिरासत में लिए गए उन 36 लोगों में शामिल हैं जिन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद सेंटूर होटल में रखा गया है.

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सूत्रों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर सरकार ने सभी नेताओं को बांड पर साइन करके रिहाई पाने की पेशकश की जिसे कुछ ने स्वीकार लिया जबकि कुछ ने ठुकरा दिया. बहरहाल, पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, पीडीपी युवा विंग के नेता वाहीद पारा और नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल ने बांड पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है.
आधिकारिक अनुमान के मुताबिक नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओं और वकीलों सहित एक हजार से अधिक लोगों को केंद्र सरकार के 5 August के निर्णय के बाद से हिरासत में रखा गया है.

जम्मू कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखा गया है. जबकि करीब 100 लोगों को जम्मू-कश्मीर के बाहर स्थित जेलों में भेजा गया है. फारूक को जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया है जबकि दूसरे नेताओं को सीआरपीसी की अलग-अलग धाराओं में हिरासत में लिया गया है.

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जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि बांड पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा हुए लोगों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं होगी जो दस्तावेज में निषिद्ध बताए गए हैं. अधिकारी ने कहा कि जो भी प्रावधान का उल्लंघन करेगा उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा.