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टेरर फंडिंग में ईडी को पाकिस्‍तानी दूतावास पर है यह बड़ा शक, पढ़ें पूरी खबर

एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि कश्मीरी अलगाववादियों ने कथित तौर पर भारत में अशांति के लिए सीमा पार से कम से कम 7 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं.

Updated on: 13 Mar 2019, 12:07 PM

नई दिल्ली:

हुर्रियत नेताओं के माध्यम से आतंकी फंडिंग के आरोपों में कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली की 1 करोड़ रुपये से अधिक की गुड़गांव की संपत्ति को कुर्क करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को और संपत्तियां मिलने की संभावना हैं. आरोप है कि भारत में यह पैसा पाकिस्तान दूतावास की ओर से वितरित किया गया था.

एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि कश्मीरी अलगाववादियों ने कथित तौर पर भारत में अशांति के लिए सीमा पार से कम से कम 7 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं. धन को अपराध की कार्रवाई के रूप में पहचानते हुए ईडी को आशंका है कि इन पैसों को पाकिस्‍तानी दूतावास के माध्‍यम से बांटा गया था. एजेंसी ने दावा किया है कि गुलाम मोहम्मद भट्ट के आवास पर तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज के माध्यम से इसकी पुष्टि की गई थी, जिन्होंने वटाली के साथ कैशियर कम अकाउंटेंट के रूप में काम किया था.

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द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, इसे लेकर एक उच्चाधिकारी अधिकारी द्वारा पहचाने गए नंबर पर भेजे गए एसएमएस के प्रवक्ता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. ईडी का मामला एनआईए द्वारा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ अपनी जांच के हिस्से के रूप में दायर एक चार्जशीट पर आधारित है. एजेंसी की जांच कर रही है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के माध्यम से कश्मीर में अशांति फैलाई जा रही थी कि नहीं.

एनआईए ने मंगलवार को मीरवाइज उमर फारूक को दिल्ली में पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह सुरक्षा जोखिम का हवाला देकर पेश नहीं हुए. मीडिया रिपोर्ट में 9 मार्च को बताया था कि ईडी ने वटाली की संपत्तियों की पहचान की थी और जल्द ही उन्हें संलग्न कर देगा. ईडी ने एक बयान में दावा किया है कि दस्तावेज से पता चलता है कि जहूर अहमद शाह वटाली हाफिज सईद से आईएसआई से, नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग से और दुबई स्थित एक स्रोत से भी पैसा प्राप्त कर रहा था. वटाली हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों को जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों को लेकर चेतावनी भी देता है.

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यह भी कहा गया है कि दस्तावेज को वटाली के व्यापार के नियमित पाठ्यक्रम में बनाए रखा गया है और उसके द्वारा हस्ताक्षरित है. यह दस्तावेज स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि हुर्रियत नेता पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों और वटाली के माध्यम से पाकिस्तान से धन प्राप्त कर रहे थे. ईडी के बयान में कहा गया है कि वटाली के हस्ताक्षर को भी सत्यापित किया गया है और विशेषज्ञ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रश्न पत्र पर उसके हस्ताक्षर उसकी नमूना लिखावट के साथ-साथ उसकी भर्ती लिखावट से मेल खाते हैं.

इस मामले में एनआईए द्वारा वटाली समेत नौ आरोपियों को गिरफ्तार किए गए थे. फिलहाल वटाली तिहाड़ जेल में है. एनआईए की जांच से यह भी पता चला कि ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) और अन्य अलगाववादी आम जनता को, विशेषकर युवाओं को, भारत के विरोध प्रदर्शनों, प्रेस रिलीज और समाचार पत्रों के माध्यम से भारत में प्रदर्शनों और जुलूसों को आयोजित करने और जनता को निर्देश जारी करने के लिए प्रेरित करते हैं. ईडी ने आरोप लगाया कि ऐसे हालात पैदा करने के लिए भारत सरकार के प्रति जम्मू-कश्मीर के लोगों में नाराजगी है.

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अधिकारियों के अनुसार, एजेंसी ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ पिछले साल 30 मई को एक मामला दर्ज किया था, जिसमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अज्ञात सदस्य शामिल थे, जो अभियुक्त आतंकवादी संगठनों हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तारन-ए-मिलत, लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हवाला सहित विभिन्न अवैध तरीकों से धन जुटाने, प्राप्त करने और एकत्र करने और सुरक्षा बलों पर पथराव करने के साथ घाटी में व्यवधान पैदा करने, स्कूलों को जलाने के लिए मामला दर्ज किया गया था. साथ ही एजेंसी की एफआईआर के अनुसार, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना उनका मकसद है.