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गुजारा भत्ता देने की ये है अनोखी परंपरा, कोर्ट ने भी दे दी इजाजत

दिलचस्प बात ये है कि पति की ये पेशकश पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वीकार कर ली है और 3 दिन के भीतर पत्नी को राशन देने की बात कही है

Updated on: 19 Jul 2019, 03:20 PM

नई दिल्ली:

हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें एक पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के स्थान पर हर महीने  दाल चावल और घी देने की पेशकश की है. पति की दलील है कि वो बेरोजगार है और इसीलिए हर महीने पत्नी को गुजारा भत्ता देने में असमर्थ है. दिलचस्प बात ये है कि पति की ये पेशकश पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वीकार कर ली है और 3 दिन के भीतर पत्नी को राशन देने की बात कही है. 

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मामला हरियाणा के भिवानी का है. यहां एक दंपति के बीच वैवाहिक विवाद के चलते हैं निचली अदालत ने व्यक्ति को हर महीने तय राशि पत्नी को भुगतान करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी. याचिका की सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि वह कोर्ट द्वारा तय रकम देने में सक्षम नहीं है. याचिकाकर्ता ने बताया कि वह जिस कंपनी में काम करता था वह कंपनी बंद हो चुकी है और ऐसे में वह पैसे के तौर पर भुगतान नहीं कर सकता. हालांकि वह इसके स्थान पर पत्नी को उसके गुजारे के लिए घर का राशन दे सकता है.

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हाई कोर्ट में शायद यह ऐसा पहला मामला होगा जहां पैसे के स्थान पर राशन को गुजारा भत्ता के तौर पर देने की कोशिश की गई और हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. हाईकोर्ट ने मांग स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि 3 दिन के भीतर वह समान अपनी पत्नी को दे और गुजारा भत्ते का पिछला भुगतान भी करें. गुजारा भत्ते के तौर पर पति को जो सामान देना है उसमें 20 किलो चावल 5 किलो चीनी, 5 किलो डाल,15 किलो अनाज,5 किलो देसी घी, और रोजाना 2 किलो घी  शामिल है.