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जानें, चौथी बार गोवा के सीएम बने मनोहर पर्रिकर के बारे में

मनोहर पर्रिकर ने चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। आइये जानते हैं उनके राजनीतिक जीवन के बारे में।

Updated on: 14 Mar 2017, 06:00 PM

नई दिल्ली:

मनोहर पर्रिकर ने चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। राज्य की विधानसभा की 40 सीटों पर हुए चुनाव के बाद बीजेपी को 13 सीटों पर जीत मिली है। जो बहुमत से कम है, लेकिन गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के 3-3 सदस्यों ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन जताया है। 

पर्रिकर एक टास्क मास्टर के तौर पर जाने जाते हैं। वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। बीजेपी में रहते हुए भी वो संघ के काफी करीब भी हैं।

पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाए जाने के विरोध में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद उन्हें अपना बहुमत सिद्ध करने के लिये दो दिन का समय मिला है।

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आइये जानते हैं मनोहर पर्रिकर के राजनीतिक सफर के बारे में-

मुख्यमंत्री के तौर पर

पर्रिकर गोवा के तीसरी बीर मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले 2000 से 2005 के बीच वे गोवा के सीएम रह चुके हैं। दोबारा वो 2012 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2014 में हुए आम चुनाव के बाद उन्हें उसी साल नवंबर में देश का रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया।

मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई। इसके साथ ही गोवा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाए।

गोवा में इसाई समुदाय के लोगों में खासे लोकप्रिय हुए, खासकर कट्टर हिदू संगठन राम सेने के हरकतों पर लगाम लगाने के कारण उनकी साख बढ़ी।

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शिक्षा और जीवन

मनोहर पर्रिकर का पूरा नाम मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर है। उनका जन्म 13 दिसबंर 1955 को गोवा के मापुसा कस्बे में हुआ। उनकी स्कूलिंग मारगो के लोएला हाई स्कूल में हुई।

पर्रिकर ने मुंबई आईआईटी से ग्रेजुएशन किया। यहीं से 1978 में उन्होंने अपनी बीटेक पूरी किया। साल 2001 में कैंसर के कारण मनोहर पर्रिकर की पत्नी का निधन हो गया था। उनके दो बेटे हैं जिनका नाम उत्पल पर्रिकर और अभिजात पर्रिकर है। उत्पल ने अमेरिका से इजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अभिजात बिजनेसमैन हैं।


रक्षा मंत्री के रूप में भी कई उपलब्धियां

नवंबर 2014 में देश देश के रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कार्यभार संभाला। पर्रिकर ने रक्षा मंत्रालय में आने के बाद कई बड़े फैसले लिए।

रक्षा मंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में आतंकी कैपों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उनके कैंपों और लॉन्च पैड को ध्वस्त किया था। यह कार्रवाई सितंबर एक अंत में हुई थी।

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सेना के हथियारों की खरीद फरोख्त को लेकर भी उन्होंने कई अहम फैसले लिये। उनमें राफेल सौदा प्रमुख है। उन्होंने लंबे समय से फैसले का इंतज़ार कर रहे राफेल फाइटर प्लेन के सौदे को मंजूरी दी ।

इसके साथ ङी सैनिकों की बुत पुरानी मांग ओआरओपी को लेकर भी सरकार ने उनके रक्षा मंत्री रहते
फैसला लिया। 40 साल पुरानी 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को अमल के रास्ते पर ले जाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। OROP के मसले को सुलझाना मनोहर पर्रिकर की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।