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दंगाईयों से बचाने के लिए एक मां ने अपने 2 बच्चों को तीसरी मंजिल से नीचे फेंका, फिर हुआ ये

यमुना विहार से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपके अंदर दर्द का सैलाब ला देगी. यहां एक मां ने अपने बच्चों को बचाने के लिए तीसरी मंजिल से उन्हें नीचे फेंक दिया.

Updated on: 27 Feb 2020, 07:46 PM

नई दिल्ली:

लूटी दुकानें, उजड़ा घर धीरे-धीरे बस जाएंगे, लेकिन दंगे का दर्द हर उस इंसान के अंदर नासूर बनकर रहेगी जिसने इसमें अपनों को खोया है. उसे रह-रह कर वो मनहूस दिन याद आएगा जिस दिन नफरत की आग ने उसकी आबाद जिंदगी में आग लगा दी. नफरत के बीच भाईचारे की भी तस्वीर सामने आ रही है. जहां हिंदू को बचाने के लिए मुस्लिम और मुस्लिम को बचाने के लिए हिंदू कुछ भी कर गुजरे. दिल्ली (Delhi) के यमुना विहार से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपके अंदर दर्द का सैलाब ला देगी. यहां एक मां ने अपने बच्चों को बचाने के लिए तीसरी मंजिल से उन्हें नीचे फेंक दिया.

यमुना विहार (Yamuna Vihar) में दंगाईयों ने एक घर में पेट्रोल बम फेंक कर आग लगा दी. घर में सिर्फ दो महिलाएं और दो बच्चे थे. कोई मदद के लिए वहां नहीं था. वो चीख रही थीं. बच्चों को बचाने के लिए गुहार लगा रही थीं. घर में ब आग और धुआं भर गया तो महिला अपने बच्चों को लेकर छत पर गई. तीसरी मंजिल से महिला ने बच्चों को नीचे फेंक दिया...जिन्हें पड़ोसियों ने कैच करके बचा लिया. पड़ोसियों ने मानवता का धर्म निभाया. दोनों बच्चे बच गए.

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डीसीपी अमित कुमार पर भी हुआ हमला

दंगाईयों का कोई चेहरा नहीं होता है. वो इंसानियत के दुश्मन होते हैं. इन्हीं दंगाईयों के बीच में डीसीपी अमित कुमार भी फंस गए थे. अमित कुमार की कार में आग लगा दी गई. उनपर हमला किया गया. वो किसी तरह जख्मी हालत में भाग कर अपनी जान बचाई.

नफरत के बीच प्यार का पैगाम दे रहे हैं लोग

कुछ लोगों की लाख कोशिशों के बाद भी समाज में मानवता कम नहीं हुई है. दिल्ली दंगे (Delhi Riot) में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. बहुत से लोगों के घर और दुकानें जल गई हैं. जिसके बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने बैठक कर दिल्ली में हुई हिंसा पर पीड़ितों के लिए राहत शिविर लगाने का फैसला किया है. कमेटी हिंसा प्रभावित लोगों को दवाइयां मुहैया कराएगी. बुधवार को यह बैठक हुई और गुरुवार को इसका असर दिखने लगा.

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दिल्ली दंगे की कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही है. जिसे पढ़कर ...सुनकर सीना दर्द से भर उठ रहा है. इसके साथ एक सवाल छोड़ रहा है कब तक इंसान-इंसान का दुश्मन बनेगा. कब तक मौत और बर्बादी पर कुछ लोग ठहाका लगाएंगे. कब हम अमन और शांति से रहेंगे.