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शाहीन बाग पहुंचे वार्ताकार साधना रामचंद्रन व संजय हेगड़े, कहा- आपने बुलाया और हम चले आए

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नियुक्त दोनों वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शाहीन बाग पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की.

Updated on: 20 Feb 2020, 04:48 PM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नियुक्त दोनों वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शाहीन बाग पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. इस दौरान वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि मीडिया की मौजूदगी में बातचीत नहीं करेंगे. वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा कि आपने हमें बुलाया था, इसलिए हम आए हैं. आप लोगों के जो भी मुद्दे हैं वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चुका है. सुप्रीम कोर्ट के सामने आपके सवाल हैं. सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) पर सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि आंदोलन आपका हक है. शाहीन बाग है और बरकरार भी रहेगा. कोर्ट ने हमें सड़क को लेकर बातचीत के लिए भेजा है.

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वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने आगे कहा कि हमें सोच समझकर आगे बढ़ना है, हिन्दुस्तान की एकता को कुछ नहीं हो सकता है. दो महीने से ये सड़क बंद है. हम आपकी इच्छा समझना चाहते हैं. हम किसी की समस्या नहीं देख सकते हैं. हम जानना चाहते हैं कि आप क्या चाहते हैं. कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका समाधान न हो. अगर बात नहीं बनी तो फिर मामला सुप्रीम कोर्ट जाएगा.

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इसके बाद वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि बंद सड़क को लेकर कोर्ट ने बातचीत के लिए भेजा है. एक दूसरे की मदद करे, परेशान न करे. शाहीन बाग के प्रदर्शन से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. हम चाहते हैं कि शाहीन बाग का प्रदर्शन देश के लिए मिसाल हो. जब तक सुप्रीम कोर्ट है आपकी बात सुनी जाएगी. आप पिछले दो माह से धरने पर बैठे हुए हैं, हम भारत में एक साथ रहते हैं ताकि दूसरों को असुविधा न हो. वार्ताकार जब मंच से संबोधित कर रहे थे उस वक्त मीडिया को दूर रखा गया था.

बता दें कि दोनों वार्ताकार बुधवार को भी शाहीन बाग पहुंचे थे. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वार्ता विफल रही. वार्ताकार अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के साथ पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला महिलाओं से बातचीत करने और गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शाहीन बाग पहुंचे. रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है, लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए.