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सर्वदलीय बैठक में PM मोदी बोले- सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार, विपक्ष ने की ये मांग

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में, विपक्ष ने मांग की कि सत्र के दौरान आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी और कृषि संकट के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए

Updated on: 18 Nov 2019, 10:23 AM

दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को बुलायी गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, जबकि विपक्ष ने आर्थिक सुस्ती और कृषि संकट से जुड़ी चिंताओं को उठाया तथा मांग की कि हिरासत में रखे गए लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला को सदन में भाग लेने की अनुमति दी जाए. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है तथा यह सत्र भी पिछले सत्र की तरह फलदायी होना चाहिए.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में, विपक्ष ने मांग की कि सत्र के दौरान आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी और कृषि संकट के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. विपक्षी नेताओं ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया और मांग की कि उन्हें सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जाए. सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली. जोशी ने मोदी के हवाले से कहा, ‘‘सरकार सदनों के नियमों और प्रक्रियाओं के दायरे में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.’’ प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि संसद में रचनात्मक चर्चा नौकरशाही को भी सतर्क रखती है. संसदीय कार्य मंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए विशिष्ट मुद्दों पर जवाब देते हुए कहा कि सरकार लंबित कानून संबंधी मुद्दों के सकारात्मक ढंग से समाधान और पर्यावरण तथा प्रदूषण, अर्थव्यवस्था, कृषि क्षेत्र और किसानों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों के वास्ते नीतिगत समाधान तैयार करने के लिए सभी दलों के साथ मिलकर काम करेगी.’’

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद हालांकि प्रधानमंत्री के इस आश्वासन से सहमत नहीं दिखे कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि सदन में बात जब बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और किसानों की स्थिति की होती है तो तब सरकार भिन्न रुख अपनाती है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने बताया कि फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा सर्वदलीय बैठक में उठाया गया. उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. आजाद ने कहा, ‘‘किसी सांसद को अवैध रूप से हिरासत में कैसे लिया जा सकता है? उन्हें संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.’’ उन्होंने यह भी मांग की कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को भी संसद में उपस्थित होने की अनुमति मिलनी चाहिए. विगत में ऐसे उदाहरण रहे हैं जब समान परिस्थितियों में सांसदों को सदन में शामिल होने की अनुमति दी गई है.

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सितंबर में जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में न्यायिक हिरासत में हैं जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने भाग लिया. बैठक में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और चौधरी, आजाद तथा राज्यसभा में कांग्रेस के उप-नेता आनंद शर्मा सहित कई वरिष्ठ विपक्षी नेता शामिल हुए. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, लोजपा नेता चिराग पासवान और समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी भी बैठक में मौजूद थे.

पासवान ने महिला आरक्षण विधेयक का मुद्दा उठाया. केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई इस बैठक का संचालन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने किया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को सभी राजनीतिक दलों से सदन के सुचारू संचालन के लिए सहयोग की अपील की थी. सर्वदलीय बैठक के बाद बिरला ने कहा था कि सदन में विभिन्न दलों के नेताओं ने अलग-अलग मुद्दों का उल्लेख किया, जिन पर वे 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान सार्थक चर्चा करना चाहते हैं. वर्ष 1952 के बाद पिछला बजट सत्र सर्वाधिक सार्थक रहा जिसमें लोकसभा में 35 विधेयक पारित किए गए. राज्यसभा ने कुल 32 विधेयकों को मंजूरी दी. इसी दौरान जम्मू कश्मीर पुनर्गठन और तीन तलाक जैसे ऐतिहासिक विधेयक भी पारित हुए.