मुरथल में बिना मंजूरी के चल रही हैं पराठे की दुकान, CPCB ने की कड़ी टिप्पणी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया कि हरियाणा के मुरथल (Murthal) में रेस्तरां और सड़क किनारे बने ढाबे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (Central Pollution Control Board) की मंजूरी के बिना चल र
दिल्ली:
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) को बताया कि हरियाणा के मुरथल (Murthal) में रेस्तरां और सड़क किनारे बने ढाबे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (Central Pollution Control Board) की मंजूरी के बिना चल रहे हैं और बिना अनुमति के भूजल निकाल रहे हैं. सीपीसीबी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के साथ मिलकर रेस्तरां और भोजनालयों का निरीक्षण किया. उसने एनजीटी (NGT) अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की पीठ को बताया कि इकाइयों को सड़क किनारे ढाबे एवं रेस्तरां चलाने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की आवश्यक मंजूरी लेने की जरूरत है.
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सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (Central Pollution Control Board) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सड़क किनारे बने ये ढाबे/रेस्तरां राज्य नीति के अनुसार बोर्डों से आवश्यक मंजूरी लें.’’ सीपीसीबी ने इन इकाइयों को बंद किए जाने या स्थानांतरित किए जाने की सलाह दी.
उसने यह भी सिफारिश की कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस प्रकार की इकाइयों को अनुमति देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि मल जल एवं ठोस अपशिष्ट को एकत्र करने और उसके उपचार के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा मुहैया कराया जाए. सीपीसीबी ने कहा कि राज्य बोर्ड को ऐसा मजबूत तंत्र विकसित करना चाहिए जिसके तहत साल में दो बार इस बात का आकलन किया जाए कि ये इकाइयां नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं.
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उसने यह भी सिफारिश की कि खाना बनाने और रसोई के अन्य कामों से होने वाले उत्सर्जन के निकास के लिए उचित प्रणाली हो. इससे पहले अधिकरण ने प्राधिकारियों को ढाबों से पैदा होने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए एक ठोस अपशिष्ट उपचार संयंत्र लगाने का काम तेजी से करने का निर्देश दिया था और सवाल किया था कि इलाके में ढाबों ने विकेंद्रीकृत उपचार संयंत्र क्यों स्थापित नहीं किया है.
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हरियाणा निवासी अभय दहिया और अन्य ने सोनीपत जिले के मुरथल में जी टी रोड स्थित रेस्तरां समेत विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा अनुपचारित जल छोड़ने और कचरा अवैध तरीके से फेंके एवं जलाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी. इसी की सुनवाई के दौरान अधिकरण ने यह टिप्पणी की.
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