दिल्ली में विपक्षी पार्टियों की हुई बैठक, जनता के पास पैसे की कमी, लेकिन सत्ताधारी दल के पास नहीं
आरबीआई से से पौने दो लाख करोड़ निकाल लिया, चूहे की तरह आरबीआई को कुतर रहे हैं
नई दिल्ली:
दिल्ली में विपक्षी पार्टियों की सोमवार को बैठक हुई. बैठक में आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और रिजनल कॉम्प्रीहेंसिव इकोनोमिक पार्टनरशिप (RCEP) के मुद्दों पर बात हुई. बैठक में आर्थिक मंदी सबसे गरम रहा. उन्होंने कहा कि जनता के पास पैसे की कमी है, लेकिन सत्ताधारी दल के पास पैसे कि कमी नहीं है. बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है. किसान परेशान हैं, इकॉनमी पर सरकार का ध्यान नहीं है. लगातार विकास दर गिर रहा है. इंडस्ट्रियल ग्रोथ गिर रहा है. इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ गिर रहा है. एनपीए बढ़ रहा है.
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Delhi: Opposition leaders met today over issues of economic slowdown, unemployment and the proposed Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) agreement. pic.twitter.com/GlivZq9uyX
— ANI (@ANI) November 4, 2019
आरबीआई से से पौने दो लाख करोड़ निकाल लिया. चूहे की तरह आरबीआई को कुतर रहे हैं. जीएसटी कृषि पर लगाया जा रहा है. ट्रैक्टर और खाद पर जीएसटी लगाया जा रहा है. किसान खुदकुशी करने पर मजबूर हैं. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की वजह से देश को नुकसान पहुंच रहा है. बैठक में विपक्षी पार्टियों ने जमकर सरकार पर बरसीं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार की सुशासन से सभी लोग त्रस्त हैं. सरकार लोगों के विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है. लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा है.
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क्षेत्रीय समग्र आर्थिक समझौते (आरसीईपी) का हिस्सा नहीं बनने के सरकार के फैसले को अपनी जीत करार देते हुए कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि विपक्ष के दबाव में भाजपा सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि यह उन सभी लोगों की जीत है जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर से जोरदार विरोध के चलते भाजपा सरकार को किसानों, दुग्ध उत्पादकों, मछुआरों, छोटे एवं मझोले कारोबारियों के हितों को नुकसान पहुंचाने से अपने कदम पीछे खींचने पड़े.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘यह उन सभी लोगों की जीत है कि जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं.’’दरअसल, भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है. इसके मद्देनजर भारत ने यह फैसला किया है.
सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है. भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी.
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